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रीवा मेें संविधान को साक्षी मानकर रचाया अंतरजातीय विवाह

रीवा. न बाजा न बारात और न ही किसी प्रकार का आडम्बर ही। एक सादे समारोह में संविधान की प्रस्तावना का वाचन कर अंतरजातीय विवाह संपन्न हुआ। संविधान को साक्षी मानकर बेटी विवेचना यादव और वर बैजनाथ विश्वकर्मा ने जाति प्रथा, दहेज प्रथा, प्रदा प्रथा और अंधविश्वास को छोडऩे के संकल्प के साथ एक दूसरे को जीवन साथी चुन लिया।

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Inter-caste marriage created considering the constitution as witness

Inter-caste marriage created considering the constitution as witness

महात्मा ज्योतिराव फूले की जयंती पर रीवा जिले के डभौरा निवासी समाजसेवी जगदीश सिंह यादव ने अपनी बेटी विवेचना का विवाह जाति तोड़ो समाज जोड़ो अभियान को बल देते हुए घोरावड़ी जिला विदिसा निवासी बैजनाथ विश्वकर्मा के साथ सादगी से संपन्न कराया। सबसे पहले सेवा निवृत्त प्राचार्य एसएल प्रजापति के द्वारा संविधान की प्रस्तावना का वाचन कराया गया। इसके बाद एक दूसरे को माला पहनाई गई और अंधविश्वास छोडऩे का संकल्प लिया गया। यह विवाह समारोह फिजूलखर्ची से पूरी तरह मुक्त रहा।

धूम्रपान वर्जित, देसी खाने का स्वाद
इस अंतरजातीय विवाह समारोह में धूम्रपान पूरी तरह से वर्जित था और देसी व्यंजन ही मेहमानों को परोसे गए थे। यहां आए मेहमानों को देसी और जैविक भोजन खाने को मिला। जिसमें ज्वार, बाजरा, कोदब, सामा, रागी, बैरी, मक्का, चना, मूंग, उड़द, मोथा, तिल काली सफेद, बरबटी, महुआ का लाटा, महुआ की डोभरी, देशी दही मठ्ठा, इंद्रहर, देसी रोटी, दलिया, बाटी चोखा, सत्तू, कढ़ी फुलौरी सहित सहित अन्य देसी व्यंजन परोसे गए थे।

बेटी के फैसले को परिवार का साथ
बेटी विवेचना ने अंतरजातीय विवाह करने का फैसला किया और यह बात उन्होंने परिवार के लोगों के समक्ष रखी। बेटी के इस फैसले को माता-पिता मना नहीं कर पाए और परिवार के साथ ही समाज के लोगों का भी पूरा समर्थन मिला। पिता जगदीश यादव बताते हैं कि हम समाज जोडऩे के बात करते हैं तो जाति को तोडऩा पड़ेगा और यह रोटी-बेटी का संबंध स्थापित करके ही पूरा किया जा सकता है।