Jal Ganga Samvardhan Program Scam: मध्य प्रदेश घोटालों का गढ़ बन गया है। अफसरों के बाद अब जनपद पंचायतों और पंचायतों में भी घोटाले सामने आ रहे हैं, रीवा जनपद पंचायत में सामने आया जल गंगा संवर्धन कार्यक्रम में खर्च की गई लाखों की राशि का बड़ा घोटाला हर किसी को चौंका गया, बिजली वाले की दुकान से मिठाई, फल और यहां तक की टैंट का सारा सामान और पानी तक खरीद लिया गया...
Jal Ganga Samwardhan Program Scam: मऊगंज में जल गंगा संवर्धन के आधे घंटे के कार्यक्रम में जनपद पंचायत ने 14 लाख रुपए से अधिक भुगतान कर दिया। फर्जीवाड़ा ऐसा कि बिजली की दुकान (प्रदीप लाइट हाउस) से मिठाई-पानी और फल की खरीदा। टेंट के सामान भी बिजली दुकान से ही किराये पर ले लिए। खास यह है कि इतना खर्च होने के बाद भी जनपद अध्यक्ष नीलम सिंह परिहार ने साफ कर दिया कि कार्यक्रम में पीने के पानी तक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। मामले में जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष राजेश पटेल समेत 17 सदस्यों ने शिकायत की है। कलेक्टर संजय ने जांच के आदेश दिए हैं।
जनपद के प्रभारी वित्तीय सीईओ एबी खरे, प्रभारी प्रशासनिक सीईओ रामकुशल मिश्रा और ग्राम पंचायत डिघवार 391 के रोजगार सहायक राजकुमार शुक्ला ने नोटशीट में दी गई स्वीकृति से कई गुना अधिक भुगतान कर दिया। प्रदीप इंटरप्राइजेज को 1.96 लाख और 41,890 रुपए की स्वीकृति ली, लेकिन नौ बार में 14.84 लाख भुगतान किए।
जिस भुगतान को लेकर आरोप लगे हैं, उसकी नस्ती भी जनपद से गायब है। लेखापाल राजमणि कहार ने अध्यक्ष से शिकायत की है कि प्रशासनिक सीईओ रामकुशल मिश्रा ने उनका डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट डिवाइस और मोबाइल अपने पास 17 मई को रखवा लिया। उसके बाद लगातार भुगतान किए। भुगतान से जुड़ी नस्ती जनपद सीईओ ने अपने घर पर रख ली है।
17 अप्रेल को बिछिया नदी के उद्गम स्थल खैरा पंचायत में कार्यक्रम हुआ। बताया गया, इसमें करीब 150 लोग शामिल हुए। पंचायती राज मंत्री प्रहलाद पटेल कुछ ही मिनट रुके थे। लेकिन जनपद के अफसरों ने फर्जी दस्तावेज बना 14.84 लाख का भुगतान कर दिया, जबकि स्वीकृति 2.38 लाख की थी।
जल गंगा संवर्धन कार्यक्रम में क्षेत्र के सभी जनप्रतिनिधि थे। वहां पीने के पानी तक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। दो बिलों के भुगतान की नोटशीट चलाई और नौ बार भुगतान हुआ। इसी की जांच की मांग की है।
-नीलम सिंह परिहार, जनपद अध्यक्ष मऊगंज