
आजादी के आंदोलन के समय रीवा राज्य के तत्कालीन महाराजा गुलाब सिंह ने राज्य में उत्तरदायी शासन प्रणाली की घोषणा कर देश का ध्यान खींचा था। देश भले ही 1947 में आजाद हुआ, पर रीवा राज्य के अधीन आने वाले अब के 8 जिले 1945 में ही लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए आजाद हो गए थे। महाराजा ने राज्य के सरकार की कमान जनता द्वारा चुनी गई सरकार को सौंपने की घोषणा की थी।
दरअसल, 16 अक्टूबर 1945 को दशहरा उत्सव पर जमींदार, सामंत, सरदार और इलाकेदार सहित आमजन महाराजा का संदेश सुनने के लिए किले के प्रांगण में जुटे थे। तब महाराजा गुलाब सिंह ने घोषणा की, रीवा राज्य में पूर्ण उत्तरदायी सरकार व्यवस्था लागू होगी। इसमें रीवा की जनता के बीच से ही चुना हुआ व्यक्ति यहां की सरकार चलाएगा। उस दौरान राजाज्ञा ही कानून व्यवस्था बनती थी।
बन गए थे 'आम'
इतिहासकार असद खान बताते हैं कि महाराजा ने घोषणा के बाद से ही खुद को साधारण जनता की तरह बना लिया था। राजसी पोशाक और अन्य बड़ी सुविधाओं का त्याग कर दिया था। इस घोषणा से कुछ लोग नाखुश भी थे। अंग्रेज भी साजिश करते रहते थे। इसी कारण वह मुंबई चले गए थे। गुलाब सिंह ने आत्मनिर्भरता का संदेश देने खुद हल चलाया था। लोगों से कहा था कि स्वयं का काम सभी करें।
नेहरू ने कहा था-इसके परिणाम दूरगामी होंगे
उन दिनों कांग्रेस के बड़े नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल सहित अन्य ने इस निर्णय पर बधाई दी थी। इतिहासकार अखिलेश शुक्ला बताते हैं कि पं. नेहरू ने संदेश में कहा था कि यह दूरगामी महत्व की घोषणा है। अन्य रियासतों के लिए उदाहरण है।
उत्तरदायी शासन की घोषणा के बाद महाराजा के कई करीबियों और इलाकेदारों ने वजह जानने का प्रयास किया था। जानकार बताते हैं कि तब महाराजा ने कहा था, जब तक जनता को आजादी का अहसास नहीं कराया जाएगा, तब तक वह अंग्रेजों के सामने भी मानसिक गुलामी में रहेगी।
रीवा रिमहों का है, इसलिए यहां शासन रिमहों के लिए रिमहों द्वारा ही किया जाएगा। हालांकि 31 जनवरी 1946 को युवराज मार्तण्ड सिंह को गद्दी पर बैठाया गया। छह फरवरी को राज्याभिषेक हुआ।
Published on:
07 Aug 2022 03:01 pm
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