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प्रयोगशाला शुरू होने के इंतजार में कंडम हो गई लाखों की मशीन, जानिए क्या है मामला

पांच वर्ष से लंबित है प्रस्ताव...

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रीवा

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Ajit Shukla

Aug 20, 2018

negligence of state officer, fertilization-seed test in Rewa not start

negligence of state officer, fertilization-seed test in Rewa not start

रीवा। फसल की बोवनी से पहले खाद और बीज के परीक्षण की रिपोर्ट आ जाए। ताकि किसान व्यापारियों के हाथों ठगे नहीं जाएं और मानक बीज व खाद का बोवनी में प्रयोग करें। इस मंशा से पांच वर्ष पहले यहां जिला स्तर पर प्रयोगशाला शुरू करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन आज तक खाद व बीज का परीक्षण शुरू नहीं हो सका। जिसका खामियाजा एक ओर जहां किसान भुगत रहे हैं, वहीं दूसरी ओर लाखों की मशीन भी कंडम होने की स्थिति में पहुंच गई है।

जिले के लिए पांच वर्ष पहले आया था प्रस्ताव
कृषि विभाग के अधिकारियों की मांग और किसानों की सहूलियत के मद्देनजर शासन स्तर से प्रयोगशाला शुरू करने की वर्ष 2013 में हरी झंडी मिली। इसके बाद आनन-फानन में करीब 50 लाख रुपए का बजट भी स्वीकृत हो गया। बजट स्वीकृत होते ही अधिकारियों ने तत्काल प्रभाव से मृदा परीक्षण कार्यालय में प्रयोगशाला शुरू करने का निर्णय लेते हुए आवश्यक मशीने भी खरीद ली गई लेकिन उसके बाद सारा का सारा मामला अधर में लटक गया। जबकि शासन स्तर से प्रयोगशाला अधिकारी भी नियुक्ति किए जा चुके थे।

भवन व वैज्ञानिकों का अभाव बना कारण
प्रयोगशाला के शुरू नहीं होने के पीछे विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने भवन के अभाव और परीक्षण के बावत वैज्ञानिकों की नियुक्ति नहीं हो पाने का तर्क दिया। बाद में अधिकारियों की मांग पर किसान प्रशिक्षण केंद्र कुठुलिया में प्रयोगशालाओं के लिए भूमि उपलब्ध कराते हुए भवन का निर्माण कार्य तो शुरू कर दिया गया लेकिन वैज्ञानिकों की नियुक्ति अभी तक नहीं हो सकी है। नतीजा इस स्थिति में उधार के भवन में भी खाद व बीज का परीक्षण शुरू कर पाना संभव नहीं हुआ है।

बोवनी के बाद आती है परीक्षण की रिपोर्ट
प्रयोगशाला शुरू होने में हो रही लेटलतीफी का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। कृषि अधिकारियों की ओर से व्यापारियों की दुकानों से लिए गए खाद व बीज के सेंपल परीक्षण के लिए पूर्व की भांति अभी भी जबलपुर में स्थित प्रयोगशाला में भेजे जाते हैं। नतीजा जब तक सेंपल के मानक व अमानक होने की रिपोर्ट वहां से आती है। किसान बोवनी पूरी कर चुके होते हैं। बीज के अमानक होने की स्थिति में संबंधित व्यापारी पर कार्रवाई तो हो जाती है। लेकिन अमानक खाद व बीज का प्रयोग करने वाला किसान अपनी पूंजी व समय दोनों गवां बैठता है।