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एमपी के इस जिले में केंद्र व राज्य की सारी योजनाएं बेमानी, स्मार्ट गांव में भी अव्यवस्थाओं से जूझ रहे ग्रामीण

कागज तक सीमित सारी अव्यवस्थाएं....

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रीवा

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Ajit Shukla

Sep 22, 2018

NO facility in Rewa smart village, PM housing scheme, cleanliness flop

NO facility in Rewa smart village, PM housing scheme, cleanliness flop

रीवा। सरकारी दस्तावेजों में भले ही स्मार्ट गांवों को सुविधायुक्त होने की दावा किया जा रहा हो, लेकिन हकीकत में कुछ को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर ग्रामीण अब भी अव्यवस्थाओं से जूझ रहे हैं। सडक़ व नाली से लेकर शौचालय व पेयजल की समस्या से दोचार होना उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में पूर्व की तरह अब भी शामिल है। बात जिला मुख्यालय से चंद किमी. दूरी पर स्थित स्मार्ट गांव अमवा की कर रहे हैं। बच्चों के लिए गांव में स्कूल तो है, लेकिन वहां का आलम यह है कि पढ़ाई के पूरे समय छात्र व शिक्षक जान जोखिम में रखकर अध्ययन-अध्यापन कार्य कर रहे हैं।

गांव में प्रवेश का मुख्य मार्ग ही उदासीनता का शिकार
स्मार्ट गांव अमवा में प्रवेश से पहले ही जनप्रतिनिधियों की उदासीनता जाहिर होने लगती है। अधूरा बनाकर छोड़ दिया गया गांव में प्रवेश का मुख्य मार्ग लोगों के लिए बड़ी समस्या बना हुआ है। करीब 500 मीटर की इस सडक़ पर मिट्टी के बह जाने से ईंट व पत्थर इस कदर ऊपर आ गए कि चंद कदम पैदल चलना भी मुश्किल जान पड़ता है। गांव के सरपंच ग्रामीणों को महीनों से यह दिलाशा देते आ रहे हैं कि जल्द ही सडक़ दुरुस्त करा दी जाएगी।

नाली नदारद, सडक़ पर बहता है घरों का गंदा पानी
मुख्य मार्ग के अलावा गांव के भीतर की छोटी-छोटी पगडंडीनुमा सडक़ दुरुस्त करा दी गई हैं। यह बात और है कि सडक़ निर्माण के साथ कहीं भी पानी की निकासी के लिए नाली का निर्माण नहीं किया गया है। नतीजा हैंडपंपों के साथ घरों से निकलने वाला गंदा पानी सडक़ पर बहता है। जिससे वाहनों के आने-जाने से गड्ढ़े में तब्दील हो चुकी पगड़डियां पैदल चलने के लायक भी नहीं बची हैं।

खुले में शौच खोल रहे स्वच्छता की पोल
शासन-प्रशासन भले ही गांवों को खुले में शौच से मुक्त करने में एड़ीचोटी का जोर लगाए बैठे हैं, लेकिन अमवा गांव की स्थिति अधिकारियों के उन दावों को पोल खोलने के काफी है जिसमें प्रयास सफल होने की बात की जा रही है। गांवों में बिना छत व दरवाजे वाले शौचालयों के खड़े ढांचे यह बयां करने के लिए काफी है कि ग्रामीणों के पास शौच के लिए खुले में जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

नहीं मिली किश्त, अधूरे मकान में ही जमा लिया डेरा
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नया मकान पाने के फेर में पुराना गिरा दिया। नए मकान के लिए आगे की किश्त नहीं मिली सो निर्माण पूरा नहीं हुआ। मजबूरी में छत डाल कर निर्माणाधीन मकान में ही डेरा जमा लिया। कहने को तो कागज पर ज्यादातर हितग्राहियों काआवास तैयार कर लिया गया है, लेकिन हकीकत यह है कि योजना के तहत एक भी आवास पूरी तरह से तैयार नहीं मिला। कई की तो अभी शुरुआत भी नहीं हुई है। गांव 31 परिवार के लिए आवास स्वीकृत किया गया है।

चंद दिनों के बाद ही बंद हो गया सोलर वाटर पंप
पेयजल की सुविधा के बावत कहने को तो गांव में सोलर वाटर पंप स्थापित किया गया है, लेकिन ग्रामीणों की माने तो चंद दिनों के बाद ही वाटर पंप शोपीस बन गया। वर्ष २०१५-१६ में लगाया गया पंप एक महीने भी अच्छी तरह से नहीं चल सका। नतीजा ग्रामीण पेयजल के लिए केवल हैंडपंप पर निर्भर हैं। सुबह और शाम ग्रामीणों को पानी के लिए लाइन लगाना पड़ जाता है।

छात्रों को सताता है जर्जर हो चुकी छत के ढहने का डर
गांव के बच्चों को पढऩे के लिए शासकीय स्कूल तो उपलब्ध है, लेकिन बिना बिम के ढाली गई स्कूल जर्जर हो छत छात्रों के साथ शिक्षकों के भय का कारण बनी हुई है। अध्ययन व अध्यापन के लिए जितने पल छात्र व शिक्षक छत के नीचे रहते हैं। उसके ढहने की संभावना से भयाक्रांत रहते हैं। स्कूल के प्रधानाध्यापक ने कई बार कलेक्टर व जिला पंचायत सीइओ के अलावा जिला शिक्षा अधिकारी तक से वस्तुस्थिति को अवगत कराया। इसके बावजूद किसी ने गौर फरमाने की जरूरत नहीं समझी है।

वर्जन -
मकान बनाने के लिए आखिरी 20 हजार रुपए की किश्त नहीं मिली। इसलिए निर्माण अधूरा है। यह हाल ज्यादातर लोगों का है। यही वजह है कि ज्यादातर मकान अधूरे हैं। कई लोगों के मकान की तो अभी शुरुआत ही नहीं हो सकी है।
अरूण कोल, ग्रामीण युवक।

सरकार की योजना केवल कहने के लिए है। कुछ रोज पंप से पानी मिला फिर वह बंद हो गया। नाली बना नहीं है, जिससे पानी सडक़ पर बहता है। पैदल चलना भी मुश्किल है। सडक़ बस बन गई है।
छोटे लाल, ग्रामीण वृद्ध।

शौचालय केवल देखने के लिए बना है। न ही छत है और न ही दरवाजा। ज्यादातर का यही हाल है। खुले में जाना मजबूरी है। पानी की समस्या के चलते भी शौचालय का प्रयोग नहीं हो पाता है।
सुषमा, ग्रामीण युवती।

फैक्ट फाइल
8000 गांव की लगभग आबादी
5000 गांव में मतदाताओं की संख्या

पीएम आवास का कागजी आंकड़ा
31 आवास स्वीकृत
22 आवास पूर्ण
09 आवास अपूर्ण