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फरियादी को खुश करने का जरिया नहीं धारा 151, डीजीपी ने पुलिस अधीक्षकों को जारी किए निर्देश, जानिए क्या है मामला

संज्ञेय अपराधों पर ही करें कार्रवाई, सीएम हेल्पलाइन की शिकायत में फरियादी को खुश करने के लिए करती है पुलिस कार्रवाई

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Police

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रीवा. पुलिसकर्मियों द्वारा किए जा रहे धारा 151 के दुरुपयोग पर विभाग सख्त हो गया है। इस पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस मुख्यालय भोपाल से सभी पुलिस अधीक्षकों को पत्र जारी किया है, जिसमें 151 की कार्रवाई करते समय अपराधों की नियति का ध्यान रखने को कहा गया है।

दुरुपयोग की शिकायतें
मालूम हो, पुलिस थानों में 151 की प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के सबसे अधिक दुरुपयोग की शिकायतें आती हैं। अमूमन इसका उपयोग तत्काल किसी अपराध को रोकने के लिए किया जाना चाहिए लेकिन पुलिसकर्मी अपनी इच्छानुसार लोगों पर 151 की कार्रवाई कर देते हैं। कई बार तो लोगों को जेल जाने तक की नौबत आ जाती है। लगातार मिल रही शिकायतों को ध्यान में रखते हुए डीजीपी ने सभी पुलिस अधीक्षकों के साथ रीवा एसपी को पत्र जारी किया है। जिसमें स्पष्टतौर पर कहा है कि 151 की कार्रवाई फरियादी को खुश करने के लिए नहीं की जा सकती है। जब कभी थानों में छोटे-छोटे विवादों की शिकायतें पहुंचती हैं तो पुलिस उसमें आरोपी को पकड़कर उनके खिलाफ 151 की कार्रवाई कर देती है। पुलिस की यह कार्रवाई लोगों के अधिकारों का हनन है। पीएचक्यू ने भी इस बात को माना है कि किसी के अधिकारों का हनन करना न्यायोचित नहीं है।

संज्ञेय अपराधों की स्थिति में करें कार्रवाई
डीजीपी ने पत्र में सभी पुलिस अधीक्षकों को संज्ञेय अपराधों की स्थिति में 151 की कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया है। यदि कोई अपराध घटित होने वाला है तो उस स्थिति में यह कार्रवाई की जाए। अकारण किसी को इस कार्रवाई से परेशान न किया जाए। एसपी ने सभी थाना प्रभारियों को 151 की कार्रवाई में संज्ञेय अपराधों को ध्यान में रखते हुए करने के निर्देश दिए हैं।

क्या है 151 की कार्रवाई
151 की कार्रवाई तत्काल किसी अपराध को रोकने के उद्देश्य से की जाती है। यदि कोई अपने घर वालों के साथ मारपीट करने पर आमदा है या फिर किसी अन्य तरह से वह शांति व्यवस्था भंग कर सकता है तो उस स्थिति में 151 की कार्रवाई की जा सकती है। इस कार्रवाई में आरोपी को कुछ देर के लिए थाने में बंद रखने का अधिकार पुलिस को है ताकि अपराध घटित न हो सके। हालांकि माहौल शांत होने पर पुलिस को उसे छोडऩे का भी अधिकार है लेकिन अमूमन पुलिस आरोपी को दूसरे दिन एसडीएम न्यायालय में ही पेश करती है जहां से मामूली विवाद पर आरोपी को जेल जाने की नौबत आ जाती है।