शासन की मंजूरी के बाद कुछ महीने पहले जारी विश्वविद्यालय के नए अध्यादेश के मद्देनजर पीएचडी की प्रवेश परीक्षा नए नियमों के अनुरूप कराना होगा, जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन पुराने पैटर्न पर परीक्षा कराने की पूरी तैयारी कर चुका है। अध्यादेश के नए नियमों के अनुरूप विश्वविद्यालय को न केवल परीक्षा के प्रश्नपत्र का प्रारूप बदलना पड़ेगा बल्कि सभी विषयों के लिए अलग से पाठ्यक्रम निर्धारित कर उसे सार्वजनिक करना होगा। विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए इस प्रक्रिया को पूरी किए बिना प्रवेश परीक्षा करा पाना मुमकिन नहीं होगा।
विश्वविद्यालय अधिकारियों को इस स्थिति में सारी प्रक्रिया नए सिरे से करना होगा। प्रवेश परीक्षा के बावत न केवल सभी २६ विषयों का पाठ्यक्रम निर्धारित करना होगा। बल्कि नए सिरे से नए प्रारूप में प्रश्नपत्र भी तैयार कराना होगा। ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए जल्द प्रवेश परीक्षा करा पाना संभव नहीं दिख रहा है। तय है कि छात्रों को अभी कम से कम एक महीने का इंतजार करना होगा।
पीएचडी की प्रवेश परीक्षा को लेकर विश्वविद्यालय अधिकारियों की नींद तब टूटी है, जब एमफिल की प्रवेश परीक्षा को लेकर एक साथ विश्वविद्यालय के चार संकायाध्यक्षों ने अंगुली उठाई है। संकायाध्यक्षों की ओर से एक अगस्त का आयोजित को अध्यादेश के विरूद्ध बताते हुए निरस्त या फिर संशोधित करने की बात की गई है। गौरतलब है कि एमफिल के पैटर्न पर ही पीएचडी की प्रवेश परीक्षा होनी है।