
polythene bag using openly. boundation unaffected
रीवा. प्रदेशभर में पालीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है। बीते एक साल पहले मई में ही राज्य सरकार ने इसके उपयोग को प्रतिबंधित करते हुए नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके साथ ही नगरीय निकाय और प्रदूषण नियंत्रण बोर्डको निर्देश दिया गया था कि वह अभियान चलाकर प्रतिबंधात्मक कार्रवाईकरें। शुरुआती दौर से ही इस पर कार्रवाई धीमी रही। नगर निगम के अधिकारियों द्वारा कार्रवाई के लिए योजना बनाए जाने का दावा किया जाता रहा। अब एक साल पूरे हो गए हैं फिर भी निगम के पास कोई ठोस जवाब नहीं है। पॉलीथिन पर प्रतिबंध के लिए मुख्यमंत्री ने कईबार सार्वजनिक रूप से ऐलान भी किया था कि अब मध्यप्रदेश की धरती पर किसी भी तरह से बाजार में पालीथिन की बिक्री नहीं हो पाएगी। कलेक्टर के स्तर पर भी इस प्रतिबंध पर कोई ठोस पहल नहीं की गई, जिसका परिणाम हैकि पहले से अधिक मात्रा में पालीथिन का उपयोग हो रहा है।
वैकल्पिक व्यवस्था नहीं बना पाए
पालीथिन का उपयोग एक झटके में बंद करने से लोगों को सामग्री खरीदने में असुविधा हो सकती थी। इसी का हवाला प्रशासन देता रहा, लेकिन कैरी बैग के वैकल्पिक व्यवस्था को लेकर किसी तरह का विकल्प तैयार नहीं किया गया। पूर्व में तत्कालीन कलेक्टर ने कहा था कि स्वरोजगार को बढ़ाते हुए स्वसहायता समूह की महिलाओं को प्रेरित किया जाएगा कि वह कागज और कपड़े के कैरीबैग तैयार करें जिससे लोगों को सामग्री खरीदने में कोईअसुविधा नहीं हो। इस पर प्रशासन ही अधिक कार्रवाईनहीं कर सका।
खानापूर्ति तक सीमित रही कार्रवाई
शुरुआती दौर में कुछदिनों तक शहर में नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्डकी टीमों ने भ्रमण किया और यह बताते रहे कि पालीथिन पर प्रतिबंध लग गया है, इसका उपयोग रोका जाए। प्रशासन की ओर से न तो किसी व्यापारी पर बड़ी कार्रवाईकी गईऔर न ही उपभोक्ताओं पर ही जुर्माना लगाया गया। खानापूर्ति के लिए औपचारिकताएं विभाग पूरी करता रहा।
500 रुपए जुर्माने का है प्रावधान
अपशिष्ट प्लास्टिक नियम 2016 के अनुसार 50 माइक्रान से पतली पॉलीथिन के उपयोग पर जुर्माना लगाने का भी प्रावधान किया गया है। प्रशासन 500 रुपए का जुर्माना उपभोक्ता पर कर सकता है। साथ ही दुकानदार की सामग्री जब्त करने के साथ ही उसके विरुद्ध भी जुर्माने की कार्रवाई की जा सकती है।
दुकानदारों ने कराया रजिस्ट्रेशन
नियम के अनुसार दुकानदारों को प्लास्टिक की सामग्री बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होता है। जिसमें पालीथिन की बिक्री का भी उल्लेख शामिल होता है। बताया गया है कि शहर में ऐसा कोईभी दुकानदार नहीं हैजिसने यह कह कर रजिस्ट्रेशन कराया हो कि वह पालीथिन की बिक्री करेगा।
थोक विक्रेताओं पर कार्रवाई नहीं
शहर में कचरा बढऩे की प्रमुख वजह पालीथिन ही है। शहर में खुले आम इसका उपयोग हो रहा है। थोक व्यापारियों के यहां भारी मात्रा में पालीथिन आ रही है और उसकी बिक्री भी हो रही है। थोक पर आने वाले माल को रोका जाता तो इतनी मात्रा में पालीथिन शहर में नहीं दिखता।
Published on:
06 May 2018 06:59 pm
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