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एमपी के इस जिले का बुरा हाल, छात्रों के भविष्य से खिलवाड़, पढ़ाई शुरू हुए दो महीना बीता, छात्रों को नसीब नहीं हुई किताब

शिक्षा अधिकारी बने अनजान...

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रीवा

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Ajit Shukla

Aug 23, 2018

Rewa govt school students not have book, education officer Silent

Rewa govt school students not have book, education officer Silent

रीवा। नए शैक्षणिक सत्र का दो महीना बीत गया है। सितंबर में तिमाही की परीक्षा शुरू हो जाएगी। लेकिन अभी तक छात्र-छात्राओं को विद्यालय से पुस्तक ही नसीब नहीं हुई है। ऐसे में छात्रों की पढ़ाई और परीक्षा की तैयारी का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। किताब नहीं मिलने से छात्र और शिक्षक दोनों ही परेशान हैं। बात शासकीय विद्यालयों में अध्ययनरत कला संकाय व अंग्रेजी माध्यम के छात्र-छात्राओं की कर रहे हैं।

शासन की लापरवाही के चलते बनी स्थिति
शिक्षा विभाग की योजना के तहत स्कूलों में जैसे-तैसे विज्ञान व हिन्दी माध्यम के छात्र-छात्राओं को तो किताब उपलब्ध करा दी गई है लेकिन कक्षा 11 वीं व 12 वीं के कला संकाय व कक्षा नवीं के अंग्रेजी माध्यम के छात्रों को अभी तक किताब मुहैया नहीं हो सकी है। शासन स्तर के अधिकारियों की लापरवाही के चलते बनी इस स्थिति में छात्रों का भविष्य दांव पर लग गया है।

तर्क है अभी जारी नहीं हुआ है बजट
अंग्रेजी माध्यम की किताबों के संबंध में प्राचार्यों का कहना है कि प्रवेशित छात्रों का विवरण उपलब्ध कराने के साथ किताबों की मांग की गई है, लेकिन अभी तक किताब मुहैया नहीं कराई जा सकी है। कला संकाय की किताबों के संबंध में तर्क है कि अभी शासन स्तर से बजट ही नहीं प्राप्त हुआ है। यही वजह है कि किताब खरीदकर छात्रों को मुहैया कराना संभव नहीं हो सका है।

कला के लिए अलग से मिलता है बजट
दरअसल पाठ्य पुस्तक निगम की ओर से कला संकाय की किताबें उपलब्ध नहीं कराई जाती हैं। इसके लिए विद्यालयों को छात्रसंख्या के आधार पर शासन स्तर से बजट उपलब्ध करा दिया जाता है। विद्यालय स्तर पर किताबें खरीद कर छात्रों को मुहैया कराई जाती हैं। अभी तक न ही शासन से बजट मिला है और न ही छात्रों को किताबें मुहैया हो सकी हैं।

हिन्दी माध्यम की किताब से कर रहे पढ़ाई
प्राचार्यों के मुताबिक अंग्रेजी माध्यम की कक्षा नवीं की किताब मुहैया नहीं होने के चलते छात्रों को हिन्दी माध्यम की किताब देकर पढ़ाई शुरू कर दी गई है। उधर कला संकाय के छात्र निजी प्रकाशन की किताब खरीदने को मजबूर हैं। जबकि आर्थिक रूप से अक्षम अभिभावकों के बच्चे बिना किताब के पढ़ाई कर रहे हैं। उनके लिए नि:शुल्क पुस्तक की योजना बेमायने साबित हो रही है।