
rewa Tourism
रीवा। कल-कल करती नदियां, जलप्रपातों की श्रृंखला, ऐतिहासिक मंदिर , बौद्ध स्थल,हरी-भरी मनोरम वादियां अनगिनत पर्यटन स्थल हैं जिले में। पर पर्यटन स्थलों की राहें आसान नहीं हैं। सरकार और पब्लिक सेक्टर दोनों ही तरफ से इस दिशा में कोई कारगर कदम नहीं बढ़ाए गए। अगर सुगम यातायात और संसाधन मुहैया कराया जाए तो रीवा के पर्यटन को पंख लगने में देरी नहीं लगेगी।
पर्यटन स्थलों के हालात
जिले के पर्यटन स्थल मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। सेमरिया में तमस नदी स्थित पूर्वा जलप्रपात घूमने देशभर से पर्यटक आते हैं। यहां शौचालय, पीने के पानी और खानपान की व्यवस्था नहीं है। बीहर नदी पर स्थित चचाई जलप्रपात तक सडक़ जर्जर है। यहां पहुंचना जोखिमभरा है। नईगढ़ी ओड्डा नदी पर स्थित बहुती जलप्रपात को जाने वाली सडक़ खस्ता है। सिरमौर में महाना नदी स्थित क्योटी जल प्रपात के लिए भी अच्छी सडक़ नहीं है। ये सभी जलप्रपात पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं लेकिन यहां तक पहुंचते-पहुंचते पर्यटक पस्त हो जाते हैं। मनगवां-चाकघाट मार्ग पर कटरा के समीप बौद्ध स्थल देउर कोठार है। जहां श्रीलंका तक से पर्यटक आते हैं। कभी यहां से व्यापारिक मार्ग निकलता था। वर्तमान में पहुंचने के लिए गड्ढेयुक्त सडक़ है। गुढ़ में भैरवनाथ की जमीन पर लेटी हुई विशाल प्रतिमा है। जहां कभी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी माथा टेका था पत्नी के साथ पूजा-पाठ की थी। पठार पर स्थित इस स्थल तक जाने के लिए पर्यटकों को एक किमी. पैदल चलना पड़ता है। दरअसल, मंजूर होने के बाद यहां सडक़ का निर्माण नहीं हुआ है। इन पर्यटन स्थलों में शौचालय और पीने के पानी के इंतजाम नहीं हैं। योगिनीमाता के शैलचित्र और लूकेश्वरनाथ को जाने के लिए भी रास्ते नहीं हैं। बात ऐतिहासिक मंदिरों की करें तो सिरमौर का रानी तालाब मंदिर, हजार लिंगेश्वर, देवतालाब का शिव मंदिर सहित भैरवनाथ मंदिर को पर्यटन के रूप में विकसित नहीं किया जा सका है।
आल्हाघाट, घिनौचीधाम से मिलेगी नई पहचान
-सिरमौर के आल्हाघाट, टोंस वाटर फॉल और घिनौचीधाम को ईको पर्यटन के रूप में विकसित किया जाना है। इसके लिए करीब 72 लाख की कार्ययोजना है। मनोरंजन स्थल के रूप में विकसित होंगे।
-गोविंद गढ़ किले को लीज पर दे दिया गया है। हेरिटेज होटल के रूप में विकसित करना हैं। यहां की खासियत बड़ा तालाब, मंदिरों का समूह और किले की स्थापत्य कला है। कंपनी भी तय हो गई है। कार्य शुरू होना है।
-क्योटी किले को भी हेरिटेज होटल के रूप में विकसित किया जाएगा। आने वाले समय में किले की चारदीवारी से वाटरफॉल का आनंद पर्यटक उठा सकेंगे। पर्यटन विभाग की ओर से अभी कंपनी फाइनल होनी है।
-व्हाइट टाइगर सफारी को जाने वाला मुकुंदपुर मार्ग बनकर तैयार हो गया है। जिससे पर्यटन की राह सफारी तक आसान हो गई है। चिडिय़ाघर व व्हाइट टाइगर सफारी में चार सफेद बाघ, दो शेर, तीन तेंदुआ, दो बंगाल टाइगर, दो भालू, चीतल, बारहसिंघा पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं।
ये सुविधाएं मिले तो बढ़े पर्यटन
-जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों के लिए बसों का संचालन किया जाए।
-ट्रेवेल्स एजेंसी जैसी सुविधाएं यहां विकसित की जानी चाहिए।
-जिले के सभी पर्यटन स्थलों तक अच्छी सडक़ें बनवाई जाएं।
-पर्यटन स्थलों पर महिला-पुरूष प्रसाधन की नितांत जरूरत है।
-जलप्रपातों के इर्द-गिर्द सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाने चाहिए।
-प्रमुख पर्यटन स्थलों पर रुकने के लिए ठहरने की व्यवस्था हो।
-पर्यटकों के खाने-पीने के लिए पर्यटन स्थलों पर कैंटीन खोली जाएं।
-जलप्रपातों पर सुरक्षा के लिए बेरीकेडिंग की नितांत आवश्यकता है।
-वाटर फॉल टूरिज्म सर्किट विकसित किये जाने की जरूरत है।
इतने पर्यटन स्थल
स्थल मुख्यालय से दूरी मार्ग
देउर कोठार 55 किमी मनगवां-चाकघाट
चचाई जल प्रपात 50 किमी सिरमौर-सेमरिया
क्योटी जल प्रपात 35 किमी बैकुंठपुर-लालगांव
पूर्वा जलप्रपात 40 किमी रीवा-सेमरिया
बहुती जलप्रपात 70 किमी नईगढ़ी-मनगवां
घिनौचीधाम 42 किमी सिरमौर-जवा
लूकेश्वरनाथ धाम 60 किमी सिरमौर-जवा
रानी तालाब सिरमौर 40 किमी रीवा-सिरमौर
योगिनीमाता शैलचित्र 43 किमी सिरमौर-टीएचपी
पंचमुखी शिवलिंग मंदिर 60 किमी सिरमौर-जवा
बरदहा घाटी 50 किमी सिरमौर-जवा
हजार लिंगेश्वर 52 किमी सिरमौर-जवा
ंखंदो माता 20 किमी रीवा-गोविंदगढ़
ऐतिहासिक तालाब 20 किमी रीवा-गोविंदगढ़
भैरवनाथ मंदिर 30 किमी गुढ़-गड्डी पहाड़
कष्टहरनाथ मंदिर 25 किमी रीवा-गुढ़
शिव मंदिर देवतालाब 50 किमी मनगवां-हनुमना
छुहिया घाटी 35 किमी रीवा-शहडोल
रीवा के आसपास कई प्राकृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल हैं जिन्हें देखने के लिए बाहर से लोग आना शुरू हो गए हैं। संसाधन बढ़ाने की जरूरत है। दो या तीन दिन का पैकेज बनाकर आने वाले पर्यटक किसी एक स्थान के लिए नहीं आएंगे। इस कारण हर जगह आवागमन के साथ ही अन्य सुविधाएं जरूरी है। पन्ना, मुकुंदपुर, संजय नेशनल पार्क और बांधवगढ़ वाइल्ड लाइफ के प्रमुख केन्द्र हैं। क्षेत्रीय कला-संस्कृति के साथ व्यंजनों को भी प्रमोट करने की जरूरत है।
पुष्पराज सिंह, पूर्व मंत्री
विंध्य क्षेत्र जैसी पर्यटन की संभावनाएं प्रदेश में दूसरी जगह नहीं हैं। रीवा के आसपास तीन नेशनल पार्क, एक टाइगर सफारी, बाणसागर डेम, चित्रकूट, आधा दर्जन वाटर फाल के साथ ही पुरातात्विक महत्व के प्रमाण यहां पर हैं। इन्हें प्रोत्साहित करने के लिए अब तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास नहीं किए गए। अब भी ऐसा किया जाए तो पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं।
प्रो. रहस्यमणि मिश्रा, पूर्व कुलपति अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय
Published on:
20 Apr 2018 12:18 pm
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