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आरटीआइ काम का हिस्सा है, इसके लिए कार्यालय प्रमुख की है जवाबदेही

- वेबीनार में पूर्व केन्द्रीय सूचना आयुक्त ने कहा, प्रयास ऐसे हों कि आयोग तक शिकायतें कम पहुंचें

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रीवा

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Mrigendra Singh

Sep 14, 2020

rewa

rti webinor in rewa, mpsic


रीवा। सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रति जागरुकता को लेकर वेबीनार आयोजित किया गया। जहां पर अधिनियम के कई जानकारी शामिल हुए। इसमें रीवा के साथ ही दूसरे जिलों के आरटीआइ एक्टिविष्ट भी शामिल हुए और आवेदन के दौरान आने वाली समस्याओं के बारे में जानकारी ली। पूर्व केन्द्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने कहा कि आवेदन लोक सूचना अधिकारी द्वारा स्वीकार नहीं करने और आवेदक के साथ अभद्रता किए जाने की घटनाएं आम होती जा रही हैं।

इनकी शिकायतें राज्य सूचना आयोग तक पहुंचती हंै। हर शिकायत की सुनवाई में आयोग का समय अधिक खराब हो रहा है। सभी कार्यालय प्रमुखों की जवाबदेही होती है कि वे अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप जानकारी उपलब्ध कराएं। यह उनकी सेवा के अतिरिक्त कार्य नहीं है, उसी का हिस्सा है। इसलिए काम की अधिकता का बहाना भी उचित नहीं है।

जानकारी उपलब्ध कराने के लिए आवेदकों की पेशी कराना भी अधिनियम की मंशा के विपरीत है। यह आवश्यक है की धारा 4 के तहत ज्यादातर जानकारियां पब्लिक डोमेन में साझा की जाए। इस दौरान पूर्व राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने आवेदकों द्वारा पूछे जाने वाले सवालों के जवाब दिए और आरटीआइ से जुड़े पहलुओं पर चर्चा की। साथ ही मुंबई से जुड़े आरटीआइ एक्टिविष्ट भास्कर प्रभु ने भी आवेदन लगाने और अपील करने की तरीकों और नियमों के बारे में बताया।

इस दौरान आरटीआइ एक्टिविष्ट नित्यानंद मिश्रा, शिवानंद द्विवेदी, शिवेन्द्र मिश्रा, सर्वेश सोनी, प्रदीप उपाध्याय, सुरेश उपाध्याय, राकेश तिवारी, दीपू सिंह, ललित मिश्रा, आदित्य पांडे, पुष्पराज तिवारी, मदन गोपाल तिवारी, राम खिलाड़ी, सपना मीणा, केशव पारीक, एके सिंह, सुनील खंडेलवाल, शिवेंद्र शुक्ला, अनिमेष पटेल, कृष्ण कुमार पटेल, प्रियेश पाण्डेय, अनिल सिंह, बृजेंद्र चतुर्वेदी सहित अन्य मौजूद रहे।

- सहकारिता की जानकारी भी ले सकते हैं
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने ललित मिश्रा एवं राकेश कुमार तिवारी के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सहकारिता विभाग में सूचना के अधिकार का अधिनियम लागू होता है और लोक सूचना अधिकारी यह कहकर अपने आप को बचा नहीं सकते। आवेदन उप पंजीयक और संयुक्त पंजीयक सहकारिता विभाग कार्यालय में दें और वहां से जानकारी प्राप्त करें क्योंकि यह सरकारी कार्यालय हैं और सरकार द्वारा वित्त पोषित हंै। यदि कोई दस्तावेज चाहे गए हैं जिनका संबंध डीआर अथवा जेआर कार्यालय से है तो निश्चित तौर पर जानकारी उपलब्ध करानी पड़ेगी। कई सवालों के जवाब में उन्होंने यह भी बताया कि अपीलीय अधिकारी की जानकारी पीआइओ को देनी होती है। यदि नहीं पता हो तो लोक सूचना अधिकारी हो ही अपील दें, उनकी जिम्मेदारी है कि संबंधित तक पहुंचाएंगे। इतना ही नहीं आयुक्त ने यह भी कहा कि अधिकांश आवेदन डाक से भेजे जाएं इससे लोक सूचना अधिकारी बहाना नहीं बना सकेंगे।

- ऐप के माध्यम से आयोग उपलब्ध करवाएगा जानकारी
राज्य सूचना आयोग जल्द ही मोबाइल एप के जरिए जानकारी लोगों के बीच साझा करेगा। इसकी जानकारी वेबीनार में आयुक्त राहुल सिंह ने दी। एप के जरिए आवेदक अपनी अपील के स्टेटस के बारे में भी जान सकेंगे। साथ ही अन्य डेटा भी मौजूद रहेगा।