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रेलवे की सुरक्षा प्रतिदिन जीआरपी के दो व आरपीएफ का एक आरक्षक पर भरोसे सुरक्षा

रेलवे का पिछले पांच सालों में यात्री सुविधाओं व सुरक्षा पर जोर है। बावजूद इसके रीवा रेलवे स्टेशन में की सुरक्षा जीआरपी के दो व आरपीएफ के एक आरक्षक के भरोसे रहती है। ऐसी स्थिति जीआरपी व आरपीएफ की पोस्ट स्वीकृत होने के बाद है। दरअसल जीआरपी व आरपीएफ के पास इतना स्टॉफ ही नहीं है कि व सुरक्षा प्रदान कर पाए।

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रीवा

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Lok Mani Shukla

Jan 10, 2020

Safety of the railway in rewa, rewa GRP and RPF news,ailway, security

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रीवा। रेलवे का पिछले पांच सालों में यात्री सुविधाओं व सुरक्षा पर जोर है। बावजूद इसके रीवा रेलवे स्टेशन में की सुरक्षा जीआरपी के दो व आरपीएफ के एक आरक्षक के भरोसे रहती है। ऐसी स्थिति जीआरपी व आरपीएफ की पोस्ट स्वीकृत होने के बाद है। दरअसल जीआरपी व आरपीएफ के पास इतना स्टॉफ ही नहीं है कि व सुरक्षा प्रदान कर पाए। स्थिति यह है बनती है कि रात में अकेले आरपीएफ व जीआरपी के आरक्षक खुद असुरक्षित महसूस करते है। ऐसे में यात्री कितने सुरक्षित रहते होगे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

बताया जा रहा है कि पिछले 26 सालों में रेलवे स्टेशन में लगातार यात्रियों की संख्या बढ़ी है। वर्तमान में प्रतिदिन पांच से दस हजार तक यात्री रेलवे स्टेशन पहुंच रहे है। सप्ताहिक ट्रेनों के दिन और भीड़ बढ़ जाती है। ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा के लिए बल ही नहीं रहता है। दिन में दो जीआरपी के आरक्षक एवं एक आरपीएफ का आरक्षक ही तैनात रहते है। ऐसे में जीआरपी व आरपीएफ सुरक्षा को लेकर ठोस पुलिसिंग नहीं कर पाते हैं।

यह है जीआरपी में पदस्थापना-
जीआरपी थाना में यहां एक निरीक्षक, एक एसएसआइ, चार प्रधान आरक्षक व 25 आरक्षक स्वीकृत है। इनमें वर्तमान में 18 आरक्षक है लेकिन में इनमें 8आरक्षक रीवा से बाहर, डभौरा, खजुराहो, टीकमगढ़ में पदस्थ है। शेष 10 आरक्षक में एक ड्राइवर और एक सीसीटीएन में पदस्थ है। ऐसे में सिर्फ 8 आरक्षक बचते है इनमें जहां एक सप्ताहिक अवकाश व दो ट्रेन पेट्रोलिंग में चले जाते हैं तो सिर्फ 5आरक्षक ही 24 घंटे के लिए रहते है। कभी समन तामील व अन्य कारणों से एक-दो जाना पड़ता है। ऐसे में प्लेटफार्म सुरक्षा के लिए एक या दो आरक्षक ही बचते है।

आरपीएफ में एक आरक्षक-
बताते है कि आरपीएफ में स्थिति और खराब है। यहां एक सहायक उपनिरीक्षक एवं एक प्रधान आरक्षक और चार आरक्षक है। इनमें दो आरक्षक जहां सेक्शन के लिए रात में जाते है। ऐसे में एक आरक्षक ही प्लेटफार्म में पदस्थ रहता है। ऐसे में वह टे्रन की सम्पत्तियों की सुरक्षा नहीं कर पाता है।

यह काम हो रहे है प्रभावित
प्लेटफार्म व ट्रेन के अंदर यात्रियों की सुरक्षा का जिम्मा जीआरपी पर है। लेकिन स्टॉफ की कमी होने के कारण रात में चलने वाली ट्रेनों में अभी सिर्फ एक ट्रेन रेवांचल में पेट्रोलिंग हो पा रही है। जबकि रीवा-विलासपुर एवं लौटने में चिरमिरी व विलासपुर ट्रेनो में अधिक चोरी की घटनाएं होने के कारण ट्रेन पेट्रोलिंग की जानी है। इस संबंध में रेलवे एसपी भी निर्देश कर चुके है लेकिन स्टॉफ की कमी से कार्रवाई नहीं हो पाती है। वहीं स्टॉफ कम होने से मामलों की विवेचना पर भी असर पड़ता है।

संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी आरपीएफ पर
रेलवे के सम्पत्ति की सुरक्षा की जबावदारी आरपीएफ पर है। रेलवे एक्ट के तहत आरपीएफ को कार्रवाई करनी होती है। इसमें ट्रेन में चेन पुलिंग, स्टेशन के समान की सुरक्षा एवं रेलवे नियमों का उल्लघन करने पर कार्रवाई करना है। लेकिन प्लेटफार्म में एक आरक्षक रहता है। ऐसे में चेन पुलिंग होने पर कार्रवाई नहीं कर पाते है। आए दिन रोजना ट्रेनों पर चेन पुलिंग होती है। वहीं अवैध वेंडर और रेलवे की पटरियों को क्रास करने वालों पर कार्रवाई नहीं होती है।
नहीं है स्टॉफ
जिस तरह यात्रियों की संख्या व ट्रेन बढ़ रही है रीवा में पर्याप्त स्टॉफ नहीं है। इससे रात में पेट्रोलिंग नहीं हो पाती है। वहीं स्टॅाफ की कमी से असरदार व ठोस कार्रवाई भी नहीं हो पाती है।
फूलकु मारी के किट्टा निरीक्षक, जीआरपी

रेलवे एक्ट में कार्रवाई
वर्तमान में रीवा में आरपीएफ के आरक्षक बहुत कम है, मात्र एक आरक्षक उपलब्ध रहता है। इस संबंध में कई बार अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। इससे रेलवे एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं हो पाती है।
एसडी पांडेय, आरपीएफ पोस्ट प्रभारी