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संजय गांधी अस्पताल में भर्ती की पर्ची ने बढ़ार्इं इमरजेंसी मरीज की मुश्किलें

डेढ़ से दो घंटे की लगती है कतार, कभी भी मरीज पर भारी पड़ सकती है अव्यवस्था

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रीवा

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Dilip Patel

Aug 05, 2018

रीवा। मऊगंज ढेरा निवासी 47 वर्षीय शांति पांडेय के सीने में असहनीय दर्द था। वह दर्द से कराह रही थीं। बेटे ने इमरजेंसी काउंटर पर बैठे कर्मचारी से भर्ती पर्ची देने की गुहार लगाई तो सामने लगी भीड़ ने विरोध कर दिया। मां को कराहते छोड़ बेटे को भी कतार में खड़ा होना पड़ा। करीब एक घंटे तैंतीस मिनट के बाद पर्ची कटी तब महिला को उपचार नसीब हुआ।


विंध्य के सबसे बड़े संजय गांधी अस्पताल के आकस्मिक चिकित्सा विभाग में शनिवार को ऐसी स्थिति रही। ओपीडी बंद होने के बाद दोपहर 2 बजे इमरजेंसी विभाग के भर्ती पंजीयन कांउटर पर भारी भीड़ बढ़ गई थी। इसी बीच मरीज शांति पांडेय सीने में दर्द से कराहते हुए पहुंची थी। काउंटर के सामने सौ से अधिक मरीज-परिजन कतार में भर्ती की पर्ची कटवाने के लिए लाइन में खड़े थे। दर्द से कराहते महिमा मरीज को अकेला छोड़ कर बेटा श्रीधर पाण्डेय भी कतार में लगने को मजबूर हुआ। 2 बजकर 05 मिनट पर कतार में लगा था भर्ती की पर्ची 3 बजकर 25 मिनट पर कटी। जिसके बाद वह मरीज को उपचार के लिए चिकित्सक कक्ष लेकर गया। जहां से उसे चौथी मंजिल स्थित मेडिसिन के वार्ड में भर्ती के लिए भेजा गया। जहां डॉक्टर ने दवाएं शुरू की। अस्पताल पहुंचने के बाद इलाज शुरू होने तक में करीब पौने दो घंटे लग गए। इमरजेंसी ट्रीटमेंट की ये स्थिति है। केवल एक मरीज इससे दो-चार नहीं हुआ बल्कि सौ से अधिक लोग कतार में लगे रहे। जानकारों की माने तो ये हालात तब और बदत्तर हो जाते हैंं जब बीमारियों का सीजन होता है।


गुस्साए परिजनों ने उठाई ये मांग
परिजनों ने कहा कि यह व्यवस्था उन मरीजों के लिए ठीक हो सकती है जिनके साथ दो-तीन लोग होते हैं पर उन मरीज के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है जिनके साथ इकलौता परिजन होता है। मरीज को संभाले या फिर भर्ती की रसीद कटवाने कतार में लगे। परिजनों ने मांग की है कि अस्पताल में एक अलग काउंटर खोला जाए। जहां पर हार्ट अटैक, सीने में दर्द, पेट दर्द सहित अन्य इमरजेंसी केस की भर्ती पर्ची काटी जाए।


एक कर्मचारी के भरोसे व्यवस्था
आकस्मिक चिकित्सा विभाग में पंजीयन के तीन कांउटर हैं लेकिन यहां पर भर्ती रसीद काटने की व्यवस्था एक कर्मचारी के भरोसे है दूसरा कर्मचारी केवल जांच की पर्ची काटता है। तीसरे कांउटर पर कोई मौजूद नहीं रहता है। हैरानी की बात ये है कि पंजीयन की व्यवस्था ठेके पर होने के बाद ये हालात हैं। इसे देखने और सुधारने वाले भी मूक दर्शक बने हुए हैं। अस्पताल का यह कुप्रबंधन गंभीर मरीजों पर कभी भी भारी पड़ सकता है।


फैक्ट फाइल:----
-1580 ओपीडी पंजीयन।
-125 भर्ती पंजीयन।
-1526 जांच पंजीयन।
(शनिवार दोपहर 4 बजे तक की स्थिति)