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स्कूलों का सुदृढ़ीकरण : 12 वर्ष पहले आई योजना में राशि नहीं मिली तो छोड़ा अधूरा काम

- कई स्कूलों में अतिरिक्त कक्ष, प्रयोगशाला और पुस्तकालय बनाने के लिए स्वीकृत की गई थी राशि- जिला शिक्षा अधिकारी ने फिर से शासन को पत्र लिखकर मांगा सहयोग

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रीवा

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Mrigendra Singh

Jan 09, 2024

rewa

- कई स्कूलों में अतिरिक्त कक्ष, प्रयोगशाला और पुस्तकालय बनाने के लिए स्वीकृत की गई थी राशि- जिला शिक्षा अधिकारी ने फिर से शासन को पत्र लिखकर मांगा सहयोग


रीवा। जिले के हायर सेकंडरी एवं हाईस्कूलों को संसाधन मुहैया कराने के लिए सुदृढ़ीकरण योजना की शुरुआत वर्ष २०११-१२ में हुई थी। जिसमें जरूरत के हिसाब से स्कूलों में नए भवन एवं अन्य निर्माण कार्यों की स्वीकृति दी गई थी। कई जगहों पर कार्य प्रारंभ भी कराया गया लेकिन निर्माण एजेंसी ने पूरी राशि नहीं मिलने का हवाला देकर आधे में ही काम रोक दिया। इसके लिए स्कूलों के प्राचार्यों और जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से लगातार मांग की जा रही है लेकिन अब तक कोई मदद नहीं मिली। जिसकी वजह से जिला शिक्षा अधिकारी ने फिर से संचालनालय को पत्र लिखकर रीवा जिले की स्थिति से अवगत कराया है और कहा है कि राशि के अभाव में कई जगह वर्षों पुराने कार्य रुके हुए हैं। इसमें अधिकांश ऐसे कार्य हैं जो करीब आठ से दस वर्ष से रुके हुए हैं। सुदृढ़ीकरण योजना के तहत सरकारी स्कूलों को संसाधन मुहैया कराना था। जिसमें अतिरिक्त कक्षों का निर्माण कराने के साथ ही प्रयोगशाला और पुस्तकालयों का निर्माण भी शामिल था। इन स्कूलों में निर्माण कराने की जिम्मेदारी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को सौंपी गई है। विभाग ने भी संबंधित ठेकेदारों को जितना निर्माण कराया गया उतने का भुगतान करा दिया लेकिन अधिकांश जगह अब भी कहीं भवन को छत का इंतजार है तो कहीं पर दरवाजा और खिड़की या फिर बिजली से जुड़े काम होना है। कुछ समय पहले संचालनालय की ओर से जिला शिक्षा अधिकारी से भी राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन के तहत सुदृढ़ीकरण योजना में कराए गए कार्यों की रिपोर्ट मांगी गई है। जिस पर अब जिला शिक्षा अधिकारी की ओर जानकारी भेजी गई है कि जिले के कई स्कूल ऐसे हैं जहां पर राशि के अभाव में काम अधूरा पड़ा है।
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कई जगह मनमानी निर्माण, सिलपरा में दो किमी दूर प्रयोगशाला
शासन से मिली राशि का सही तरीके से उपयोग भी कई जगह नहीं कराया गया है। तत्कालीन जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते ठेकेदारों की जहां मर्जी हुई निर्माण करा दिया है। एक उदाहरण सिलपरा से सामने आया है, जहां पर हायर सेकंडरी स्कूल सिलपरा से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर प्रयोगशाला का भवन बनाया गया है। यह भवन अभी स्कूलों को हैंडओवर नहीं हुआ है लेकिन शिक्षकीय दृष्टि से अप्राशांगिक बताया जा रहा है। नियमित कक्षा के बाद छात्र दो किलोमीटर दूर प्रयोगशाला में अध्ययन के लिए कैसे जाएंगे यह बड़ा सवाल है। यह भी कहा गया है कि इसके नजदीक ही श्मशान भी है, जिसके चलते छात्रों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे ही दूसरे कई जगहों पर निर्माण कराए जाने की जानकारी सामने आई है।

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ऐसा है स्कूलों का हाल
1- हाईस्कूल बरसैता- रायपुर कर्चुलियान जनपद क्षेत्र के इस स्कूल के लिए वर्ष 2010-11 में 15.70 लाख रुपए की स्वीकृति हुई थी। जिसमें निर्माण एजेंसी को १३.५० लाख रुपए का भुगतान भी हुआ है। यहां पर विद्युतीकरण का कार्य नहीं हुआ है। जिसके चलते भवन का उपयोग नहीं हो रहा है।
3- हाईस्कूल सिलपरा- यहां पर 12.63 लाख रुपए की स्वीकृति हुई थी। जिसमें अतिरिक्त कक्ष के साथ ही प्रयोगशाला एवं अन्य निर्माण कराना था। इसमें चार लाख का ही भुगतान हो सका है। निर्माण एजेंसी को ८.६३ लाख रुपए दिया जाना है। जिसकी वजह छत की ढलाई, प्लास्टर, पोताई और विद्युतीकरण का कार्य अधूरा है।
3- हाई स्कूल बदवार - सुदृढ़ीकरण के लिए यहां पर 34.26 लाख रुपए का आवंटन हुआ था। जिसमें निर्माण एजेंसी को 26.41 लाख का भुगतान भी हो चुका है। अभी 8.85 लाख रुपए दिया जाना है। यहां पर विद्युतीकरण का कार्य निर्माण एजेंसी ने रोक रखा है।
4- हायर सेकंडरी मझियार- यहां के लिए 19.10 लाख रुपए का आवंटन हुआ था जिससे कई निर्माण कराए जाने थे। जिसमें १२.५६ लाख रुपए एजेंसी को भुगतान किया जा चुका है, अभी 6.54 लाख रुपए का भुगतान होना बाकी है। यहां पर फर्श, प्लास्टर, पोताई और विद्युतीकरण का कार्य होना बाकी है।
5- हायर सेकंडरी टिकुरी- रायपुर कर्चुलियान जनपद के टिकुरी विद्यालय के लिए 29.59 लाख रुपए की मंजूरी मिली थी। जिसमें निर्माण एजेंसी को ६.१५ लाख का भुगतान किया गया है। यहां पर छत, प्लास्टर, पोताई और विद्युतीकरण का कार्य होना है।
6- हायर सेकंडरी रतनगवां- मऊगंज जिले के इस स्कूल के लिए 24.96 लाख रुपए का आवंटन हुआ था। जिसमें निर्माण एजेंसी को 21.86 का भुगतान हो चुका है। अभी 3.10 लाख देना शेष है। जिसकी वजह से यहां पर कई तरह के काम होना अभी बाकी है।
7- बालक हायर सेकंडरी डभौरा- यहां के लिए 28.59 लाख रुपए की स्वीकृति हुई थी। जिसमें कुछ कार्य कराए गए हैं और उसके बदले १७.५१ लाख का भुगतान भी हो चुका है। अभी ११.८० लाख का भुगतान बकाया है जिसके चलते कई निर्माण कार्य अभी नहीं कराए जा सके हैं।
8-उत्कृष्ट विद्यालय सितलहा-- यहां के लिए वर्ष 2009-10 में 64.82 लाख रुपए की स्वीकृति मिली थी। जिसके बदले कराए गए कुछ कार्यों के चलते ४६.५७ लाख का भुगतान भी हो चुका है, अभी १८.४५ लाख का भुगतान किया जाना है। कई कार्य हैं जिनका फिनिशिंग कार्य कराना जाना है। यहां के कई कार्य निरस्त भी किए जा चुके हैं।
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रंगरोगन का कार्य भी कई स्कूलों में अटका
जिले के हायर सेकंडरी और हाईस्कूलों के रंगरोगन से जुड़े कार्यों को लेकर गत वर्ष प्राचार्यों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जिसमें प्राचार्यों से कहा गया था कि वह तीन लाख रुपए तक का कार्य कराने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बिल प्रस्तुत करेंगे। कई प्राचार्यों ने इस पर हाथ खड़े कर दिए थे और ठेकेदारों को काम देकर उन्हें ही भुगतान कराने की बात कही थी। वहीं कई प्राचार्य ऐसे थे जिन्होंने पहले राशि की मांग की ताकि वह काम के बदले भुगतान कर सकें। सरकार ने जिले के २१५ स्कूलों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपए दिए जाने का आदेश जारी किया था। तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी की लापरवाही के चलते उक्त बिल को कोषालय में नहीं लगाया जा सका, जिसके चलते प्राचार्यों को भुगतान नहीं हुआ। इसी के चलते उक्त राशि लेप्स हो गई और अब फिर से जिला शिक्षा अधिकारी ने शासन को पत्र भेजा है कि कई जगह स्कूलों में पोताई, दरवाजा, खिड़की सहित अन्य जरूरी काम कराए गए हैं। जिसके उनके भुगतान की प्रक्रिया अपनाई जाए।
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स्कूलों में जरूरत के हिसाब से निर्माण कार्य कराने के लिए सुदृढ़ीकरण योजना के तहत स्वीकृति मिली थी। निर्माण एजेंसी ने जितनी राशि मिली उतना काम किया, शेष काम रोक दिया है। इसलिए जिले की स्थिति से शासन को अवगत कराते हुए राशि आवंटन की मांग की है ताकि अधूरे कार्यों को पूरा किया जा सके।
गंगा प्रसाद उपाध्याय, जिला शिक्षा अधिकारी रीवा