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शिवमोहन सिंह : विंध्य प्रदेश के पुनर्गठन का देखा था सपना, विधानसभा में लेकर आए थे संकल्प

- विंध्य को उसका अधिकार दिलाने कई बार किया था प्रयास

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रीवा

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Mrigendra Singh

Aug 13, 2022

rewa

Shivmohan Singh ex dgp and ex mla, vindhyapradesh


मृगेन्द्र सिंह, रीवा। विंध्य प्रदेश का मध्यप्रदेश में विलय होने के बाद भी अपेक्षा के अनुरूप विकास नहीं हो पाने के चलते शिवमोहन सिंह लगातार सवाल उठाते रहे हैं। वर्ष 1998 से 2003 तक अमरपाटन क्षेत्र के विधायक के रूप में उन्होंने प्रतिनिधित्व किया। इस दौरान वह विधानसभा और उसके बाहर यह मांग करते रहे कि मध्यप्रदेश के विलय के दौरान विंध्य क्षेत्र को कुछ प्रमुख संस्थान देने की बात हुई थी लेकिन उसका पालन नहीं हुआ।
भोपाल के साथ ही इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर सहित अन्य क्षेत्रों में प्रदेश स्तर के संस्थान स्थापित किए गए लेकिन विंध्य में कुछ खास नहीं मिला। इसी के चलते शिवमोहन सिंह विधानसभा में विंध्य प्रदेश के पुनर्गठन का संकल्प लेकर आए थे। जिसका विंध्य क्षेत्र के अधिकांश विधायकों ने समर्थन किया था।

यह संकल्प तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार को भेजा था, जिस पर प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। सिंह द्वारा उठाई गई मांग के बाद विंध्य में कई संगठन बने और वह लगातार मांग कर रहे हैं कि विंध्य क्षेत्र को फिर से पूर्ण प्रदेश के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए। विंध्य प्रदेश के पुनर्गठन की मांग पर तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी ने भी बराबर सहयोग किया था।
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श्रीनिवास तिवारी राजनीति में लेकर आए, अभिन्न सहयोगी थे
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी और शिवमोहन सिंह अच्छे मित्र थे। आइपीएस अधिकारी के रूप में जब तक कार्यरत रहे तब भी दोनों के बीच अच्छे संबंध रहे। सेवानिवृत्त होने के बाद जब रीवा में रहने लगे तो श्रीनिवास तिवारी ने ही कहा था कि राजनीति में आकर लोगों की वह अच्छी सेवा कर सकते हैं। इसी के चलते वह चुनाव लडऩे के लिए राजी हुए थे और विधायक बने थे। जीवित रहते शिवमोहन सिंह ने 'पत्रिका' को बताया था कि वह और श्रीनिवास तिवारी ने एक साथ पढ़ाई की और लंबा समय साथ बिताया था। उम्र में तिवारी बड़े थे और पढ़ाई में एक क्लास पीछे थे। इस वजह से दोनों लोग एक-दूसरे का बराबर सम्मान करते थे।
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देवताओं की मूर्ति चोरी और पुजारियों की हत्या जैसे सुनियोजित अपराधों से आहत थे
पूर्व पुलिस महानिदेशक शिवमोहन सिंह रीवा सहित पूरे संभाग में मंदिरों से देवी-देवताओं की बेशकीमती मूर्तियां चोरी होने और वहां पर रहने वाले पुजारियों की हत्या जैसे सुनियोजित अपराधों पर अंकुश नहीं लगने की वजह से आहत थे। कई बार पुलिस अधिकारियों के साथ बैठकों में इसका उल्लेख करते रहे। उन्होंने एक बार बताया था कि गोविंदगढ़ के पास आनंदगढ़ गांव से उग्रतारा देवी की अष्टधातु से बनी प्रतिमा चोरी होने की सूचना मिली तो बहुत आहत हुए थे। वह लोगों की आस्था का प्रमुख केन्द्र रही है। इस घटना के बाद दो दिन तक सो नहीं पाए थे। यही कारण रहा कि वह आवेदक के रूप में तत्कालीन आईजी रीवा के पास पहुंचकर इस मामले का खुलासा करने और मूर्ति बरामद करने की मांग उठाई थी। बाद में उसी जगह पर चौकीदार की हत्या ने उन्हें और झकझोर दिया था। वह अक्सर कहते थे कि यह सुनियोजित अपराध है, संभागभर के मंदिर खाली होते जा रहे हैं। साथ ही चंदन तस्करों के बढ़ते प्रभाव से भी आहत थे।
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पूर्व विधायक शिवमोहन सिंह का निधन, कई दिनों से अस्पताल में थे भर्ती

रीवा। पूर्व पुलिस महानिदेशक और पूर्व विधायक शिवमोहन सिंह(94) का निधन हो गया है। कुछ दिन पहले ही वह अपने आवास में फिसलकर गिर गए थे, जिसके चलते उपचार के लिए संजयगांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस निधन पर उनके बोदाबाग स्थित आवास में श्रद्धांजलि देने बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। अंतिम संस्कार 14 अगस्त को सतना जिले के गृह ग्राम प्रतापगढ़(अमरपाटन) में होगा। श्रद्धांजलि देने पूर्व मंत्री पुष्पराज सिंह, अजय सिंह सहित कई प्रमुख लोग पहुंचे थे। प्रशासनिक एवं पुलिस के अधिकारियों ने भी पहुंचकर श्रद्धासुमन अर्पित किए। सिंह एक कुशल आइपीएस आफिसर रहे हैं। अपने कार्यकाल में उन्होंने अपराध से जुड़े कई अहम मामलों का खुलासा करते हुए सामुदायिक पुलिसिंग की शुरुआत की थी। जनता से संवाद स्थापित कर पुलिस के प्रति विश्वास बनाने की जो शुरुआत की थी वह अब भी जिलों में चल रही है। निष्पक्ष प्रशासक के साथ ही सेवानिवृत्त होने पर राजनीति में आए, विधायक बने और जनता के लिए कई अहम कार्य किए। सामाजिक कार्यों में वह लगातार सक्रिय रहे हैं। अमरपाटन के प्रतापगढ़ गांव में लालप्रताप सिंह के घर 28 मार्च 1928 को जन्मे शिवमोहन सिंह का विवाह रामकुमारी देवी के साथ हुआ था। उनके तीन पुत्र हैं, जिसमें राजेन्द्र सिंह राजनीति में हैं और कांग्रेस के प्रदेश के बड़े नेता हैं। शिवमोहन सिंह अपने जमाने के अच्छे निशानेबाज और घुड़सवार माने जाते हैं।
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