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ऑनलाइन पढ़ाई से अभिभावकों पर पड़ेगा भार, किताबों और फीस का भार पहले से था

ऑनलाइन पढ़ाई से अभिभावकों पर पड़ेगा भार, किताबों और फीस का भार पहले से था

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 There is a lot of enthusiasm among children about online education, and they are interested in being spontaneous

ऑनलाईन पढ़ाई... बच्चे अब ऑनलाईन पढ़ाई में भी दिलचस्पी ले रहे हैं।

रीवा। लॉकडाउन की वजह से स्कूलों के जल्द खुलने की संभावना नहीं है। केन्द्र और राज्य की सरकारें प्रयास में हैं कि स्कूलें खोली जाएं लेकिन अभी यह तय नहीं हो पा रहा है कि किस कक्षा के छात्रों को बुलाना है।

इस बीच प्राइवेट स्कूलों की ओर से अभिभावकों को नया फरमान जारी किया जा रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि वह अपने घरों में लैपटॉप या फिर अन्य बेहतर क्वालिटी से वेबकैम का इंतजाम करें, ताकि स्कूल के शिक्षक द्वारा ठीक तरीके से छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई की जा सके।

ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर अभिभावकों में अलग-अलग राय सामने आ रही है। कुछ अभिभावक तो उत्सुक हैं पठन-पाठन की नई व्यवस्था को लेकर, उनका मानना है कि लॉकडाउन के बाद नई जीवनचर्या सामने आएगी, उसका यह भी बड़ा उदाहरण होगा कि ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए बच्चों को बेहतर ढंग से पढ़ा सकेंगे।

जिन अभिभावकों ने स्वयं ऑनलाइन की पढ़ाई नहीं की उनके लिए यह नया अनुभव होगा। वहीं आर्थिक रूप से कमजोर और मध्यमवर्गीय परिवार के लिए यह नई व्यवस्था खर्चीली साबित होगी, जिनके पास लैपटॉप नहीं है उन्हें खरीदना पड़ेगा अथवा बेहतर क्वालिटी का मोबाइल भी लेना पड़ेगा।

लॉकडाउन की स्थिति में प्राइवेट जॉब करने वाले लोगों की वेतन कटौती हो रही है तो कइयों को बाहर भी निकाला जा रहा है। ऐसे में यह व्यवस्था खर्च बढ़ाने वाली होगी।

जल्दबाजी की जरूरत नहीं, सोचकर उठाने होंगे कदम

शासकीय स्कूल के व्याख्याता एवं शिक्षक कांग्रेस के अध्यक्ष आबाद खान का कहना है कि कोरोना संक्रमण व्यापक महामारी है, ऐसे में स्कूल खोलने का निर्णय काफी सोच समझकर लेना होगा।

साथ ही प्राइवेट स्कूलों की ओर से यदि सभी छोटे-बड़े छात्रों को लैपटॉप के जरिए ऑनलाइन पढ़ाने की अनिवार्यता की जा रही है तो यह भी जल्दबाजी होगी। आबाद खान कहते हैं हाइस्कूल व हायरसेकंडरी कक्षाओं के लिए तो ठीक है लेकिन छोटे बच्चों के मामले में अभी जल्दबाजी होगी।

छोटे बच्चों के लिए ठीक नहीं यह व्यवस्था

अभिभावक संजय पाण्डेय कहते हैं कि प्राइमरी लेवल पर ऑनलाइन कक्षाएं वेबकैम के जरिए नियमित चलाना ठीक नहीं है। सप्ताह में एकाक दिन ऐसा किया जा सकता है। क्योंकि बच्चों का ध्यान कोर्स से अधिक लैपटॉप या मोबाइल के दूसरे कार्यों पर अधिक ध्यान जाता है।

अभिभावक ज्योतिमा सिंह बताती हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई के लिए छोटे बच्चों के साथ अभिभावकों को भी पूरी क्लास अटेंड करनी होगी। कामकाजी लोगों के लिए थोड़ा समस्या उत्पन्न होगी, यदि उनकी आफिस या दुकान के टाइम पर क्लास लगाई गई तो मेंटेन करना मुश्किल हो जाएगा।

घर पर ट्यूटर लगाना पड़ेगा

अभिभावक आनंद सिंह कछवाह का कहना है कि आनलाइन पढ़ाई का विकल्प अच्छा है, क्योंकि यदि स्कूल नहीं खुलेंगे तो बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगेगा। स्कूलों की ओर से जिस तरह से संकेत मिल रहे हैंं कि आने वाले दिनों में आनलाइन पढ़ाई पर फोकस होगा।

उसमें तो लैपटॉप के साथ पढ़ाई के लिए अधिक देर तक बच्चों को नहीं बैठाया जा सकता। इसके लिए ट्यूटर लगाना पड़ेगा। उसका अभी अतिरिक्त खर्च होगा, मतलब यह आर्थिक भार बढ़ाने वाली व्यवस्था होगी।

एप और वाट्सएप ग्रुप भी बेहतर विकल्प

अभिभावक शिवदत्त पाण्डेय पाण्डेय का कहना है कि बड़े स्कूलों की ओर से मोबाइल एप दिया जा रहा है। साथ ही वाट्सएप ग्रुप बनाकर अभिभावकों को शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। यह विकल्प बेहतर है, इसके अलावा छोटे बच्चों के लिए अतिरिक्त संसाधन मुहैया कराने की अनिवार्यता ठीक नहीं होगी।