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आज रात चंद्रमा हो जाएगा लाल, सत्रह वर्षों बाद गुरु पूर्णिमा पर बन रहा है ये संयोग

सबसे लंबी अवधि 3 घंटा 55 मिनट का होगा चंद्रग्रहण, खगोलीय नजारे को देखने रहिए तैयार

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रीवा

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Dilip Patel

Jul 27, 2018

रीवा। गुरु पूर्णिमा की मध्य रात्रि खग्रास यानी पूर्ण चंद्रग्रहण पडऩे जा रहा है। यह संयोग सत्रह वर्षों के बाद बन रहा है। इसके पूर्व 5 जुलाई 2001 को गुरु पूर्णिमा के दिन ही आंशिक चंद्रग्रहण पड़ा था। यह खग्रास चंद्रग्रहण इस वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण होगा जो कि भारत में दिखाई देगा।


यह पूर्ण चंद्रग्रहण सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण है। इसकी पूर्ण अवधि 3 घंटा 55 मिनट होगी। यह ग्रहण विंध्य एवं भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों में देखा जा सकेगा। इस चंद्रग्रहण को ब्लड मून कहा जा रहा है क्योंकि ग्रहण के दौरान खग्रास अवस्था में पहुंचकर चंद्रमा का रंग रक्त की तरह लाल दिखाई देने लगेगा। यह एक खगोलीय घटना है, जिसमें चंद्रमा धरती के अत्यंत करीब दिखाई देता है। ग्रहण का सबसे अधिक असर गर्भवती पर होता है। ऐसी मान्यता है। ग्रहण काल के दौरान गर्भवती को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। ग्रहण काल के दौरान यदि खाना जरूरी हो तो सिर्फ खानपान की उन्हीं वस्तुओं का उपयोग करें जिनमें सूतक लगने से पहले तुलसी पत्र या कुशा डाली गई हो। गर्भवती महिलाओं को चाहिए कि ग्रहण की अवधि में वे धार्मिक ग्रंथों का पाठ करती रहें।


दोपहर 2.54 से लगेगा सूतक
ज्योतिष राजेश साहनी के अनुसार इस खग्रास चंद्रग्रहण का सूतक आषाढ़ पूर्णिमा शुक्रवार को ग्रहण प्रारंभ होने के तीन प्रहर यानी 9 घंटे पहले लग जाएगा। अर्थात 27 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 54 मिनट पर लग जाएगा। सूतक लगने के बाद कुछ भी खाना-पीना वर्जित रहता है। रोगी, वृद्ध, बच्चे और गर्भवती सूतक के दौरान खाना-पीना कर सकती हैं। सूतक प्रारंभ होने से पहले पके हुए भोजन, पीने का पानी, दूध, दही आदि में तुलसी पत्र या कुशा डाल दें। इससे सूतक का प्रभाव इन चीजों पर नहीं होता है। सूतक एवं ग्रहण काल में मूर्ति स्पर्श करना, अनावश्यक खाना पीना इत्यादि वर्जित हैं। दोपहर बाद मंदिर के पट बंद हो जाएंगे।


ग्रहण कब से कब तक
चंद्र मलिन प्रारम्भ रात्रि 10.45 बजे
ग्रहण स्पर्श रात्रि 11 बजकर 54 मिनट
खग्रास प्रारंभ रात्रि 1.00 बजे।
ग्रहण मध्य रात्रि 1 बजकर 52 मिनट।
खग्रास समाप्त रात्रि 2 बजकर 43 मिनट।
ग्रहण मोक्ष रात्रि 3 बजकर 49 मिनट।


गुरु पूर्णिमा के मुहुर्त
गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का संचरण शनि की राशि मकर में होने से गुरुपर्व विशिष्ट हो गया है। इस दिन विशेष पूजन मुहुर्त सुगह 8 बजे से 10 बजे के मध्य, अभिजीत मुहुर्त दोपहर 11.45 से लेकर 12.37 बजे तक रहेगा। इसके बाद शाम 5.50 बजे से लेकर 7.30 बजे तक गुरु पूजन के लिए विशिष्ट मुहुर्त हैं। चंद्रग्रहण के कारण पूजन दोपहर 2.54 बजे के पहले करना लेना चाहिए।