
महिला आरक्षण : रीवा में महिलाओं का कैसा रहा है नेतृत्व, नए कानून पर महिला नेत्रियों के जानिए विचार
रीवा। लोकतंत्र में बराबरी का दर्जा मिलने और संख्या बल में भी बराबर होने के बावजूद महिलाओं को राजनीति में बराबर का प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है। इस पर केन्द्र सरकार ने महिलाओं का आरक्षण देने की तैयारी की है। इसका विधेयक लोकसभा में पेश करने की बात सामने आते ही जिले की महिला नेत्रियों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। लंबे समय में राजनीतिक सेवा में जुटी महिलाओं के लिए विधानसभा और लोकसभा पहुंचने की उम्मीद अब तक बहुत कम ही रही हैं। आरक्षण व्यवस्था के बाद महिलाओं का नेतृत्व बढ़ेगा।
रीवा जिले में पहले भी जब मौका मिला महिलाओं ने अपनी नेतृत्व क्षमता साबित की। कई महिला नेत्रियां रीवा जिले की रही हैं जिनका राज्य और केन्द्रीय राजनीति में योगदान रहा है। आजादी के बाद लोकतांत्रिक व्यवस्था के शुरुआती दिन थे। उस समय महिलाएं राजनीति में बहुत कम हिस्सेदारी करती थी। समय बढ़ता गया, लोकतंत्र मजबूत हुआ, महिलाएं भी राजनीति में हिस्सेदारी के लिए आगे आईं लेकिन उन्हें अपेक्षा के अनुरूप शुरुआती वर्षों में सफलता नहीं मिली। इसी वजह से सभी दल महिलाओं को नेतृत्व देने में पीछे हटते रहे हैं।
विंध्य प्रदेश के दौर में राजनीतिक दलों द्वारा महिलाओं को टिकट दिया गया लेकिन वह विधानसभा तक नहीं पहुंची। हालांकि बाद में कई ऐसे अवसर रहे जब महिलाएं चुनाव जीतीं और क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। अब आरक्षण देने की बात सामने आने के बाद पार्टियों की तैयारियां शुरू हो गई हैं। कांग्रेस नेता अजय सिंह राहुल ने कहा कि उनकी पार्टी महिलाओं को नेतृत्व देने की पूरी तैयारी में है।
- चंपा देवी अब तक की सफल महिला नेत्री रहीं
चंपा देवी ही जिले में अब तक की ऐसी सफल नेत्री रही हैं जो तीन बार विधानसभा का सदस्य चुनी गईं। सबसे पहले 1957 में उन्होंने सिरमौर सीट से यमुना प्रसाद शास्त्री जैसे दिग्गज को हराकर महिला नेतृत्व का डंका बजाया। इसके बाद 1980 और 1985 में वह मनगवां सीट से विधायक बनीं। इंदिरा गांधी से नजदीकी संबंध होने के चलते चंपा देवी इस क्षेत्र का नेतृत्व करती रही हैं। अपने दौर में कई बड़े कार्य भी उन्होंने कराए।
- ये रहीं अब तक जिले की विधायक
1-सिरमौर- चंपादेवी 1957( कांग्रेस)
2-मनगवां- चंपादेवी 1980, चंपादेवी 1985(कांग्रेस), पन्नाबाई 2008(भाजपा), शीला त्यागी 2013(बसपा)।
3- गुढ़- विद्यावती 1998 (बसपा)।
4- सेमरिया- नीलम मिश्रा 2013(भाजपा)
---
चार सीटों में अब तक महिलाओं को नेतृत्व का मौका नहीं
रीवा जिले की चार ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां महिलाओं को नेतृत्व करने का अवसर नहीं मिला है। इसमें रीवा, देवतालाब, मऊगंज एवं त्योथर की विधानसभा सीटें हैं। जिसमें कभी भी महिलाएं विधायक नहीं बनी। कई बार भाजपा, कांग्रेस एवं अन्य दलों की ओर से टिकट भी महिलाओं को दिए गए लेकिन उसे जीत में बदलने में सफल नहीं हो पाई।
-
पारिवारिक विरासत का दो को अवसर मिला
भाजपा की दो ऐसी महिला विधायक चुनाव जीती हैं जिन्हें पारिवारिक विरासत के रूप में सीट मिली। मनगवां से पन्नाबाई चुनाव जीतीं तो इसके पीछे उनके पति विधायक पंचूलाल प्रजापति का राजनीतिक कैरियर शामिल रहा है। पंचूलाल भाजपा की टिकट पर लगातार जीत दर्ज कराते रहे हैं। इसी तरह सेमरिया से पूर्व विधायक अभय मिश्रा की पत्नी नीलम मिश्रा को वर्ष 2013 में भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा और वह चुनाव जीतीं। एक बार फिर वह भाजपा में सक्रिय हैं और टिकट की दावेदारी कर रही हैं।
--
महिलाएं राजनीति में काम तो करती हैं। वार्डों से लेकर जिले तक हर भूमिका में हैं। निकायों में आरक्षण के चलते प्रतिनिधित्व बढ़ा है। स्वाभाविक है कि बड़े सदनों में पहुंचने का अवसर मिलेगा तो नए नेतृत्व सामने आएंगे। सरकार का यह कदम सराहनीय है।
नीलम मिश्रा, पूर्व विधायक भाजपा
--
आरक्षण मिलने से महिलाओं को आगे बढऩे का मौका मिलेगा, सामाजिक और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। महिलाएं सशक्त होंगी तो देश का गौरव बढ़ेगा। राजीव गांधी ने पहले ही प्रयास किया था। महिलाएं कानून बनाएंगी तो समग्र समाज को आगे बढऩे का मौका मिलेगा।
शीला त्यागी, पूर्व विधायक
---
बाबा साहब ने संविधान में महिलाओं के अधिकार की बात कही है। महिला हूं तो मेरा मानना है कि सुई से लेकर हवाई जहाज तक बनाने में महिलाओं की भूमिका होती है। संख्या बल के हिसाब से ५० प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए। अब चूल्हा-चौका तक महिलाएं सीमित नहीं रह गई हैं। नए नेतृत्व सामने आएंगे।
अनीता सुमन, बसपा नेत्री
---
आबादी का आधा हिस्सा महिलाओं का है, देश के हर कार्य में बराबर की भागीदारी रहती हैं। लोकसभा-विधानसभा को अवसर मिलने से जिले में नेतृत्व बढ़ेगा। इस आरक्षण के साथ ही महिलाओं की सुरक्षा का भी प्रयास होना चाहिए। अन्य क्षेत्र में महिलाओं को सहयोग की जरूरत है। ३३ प्रतिशत से अधिक होना चाहिए आरक्षण।
सरिता पांडेय, आम आदमी पार्टी
-
कांंग्रेस पार्टी ने महिला आरक्षण के लगातार प्रयास किया है। राजीव गांधी से लेकर मनमोहन सिंह की सरकार तक ने प्रावधान का प्रयास किया। हाल ही में कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने भी प्रस्ताव पास किया है। स्थानीय निकायों में महिलाएं प्रतिनिधित्व कर रही हैं। कांग्रेस के प्रयासों का ही परिणाम है कि सरकार को कानून बनाना पड़ रहा है।
कविता पांडेय, कांग्रेस नेत्री
--
महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए भाजपा ने लगातार प्रयास किए हैं। नए संसद भवन के पहले दिन महिलाओं के आरक्षण का बिल पेश होना अपने आप में ऐतिहासिक है। महिला आरक्षण लागू होने से अब बड़ी संख्या में महिलाएं राजनीति से जुड़ेंगी। महिलाओं का सशक्त बनाने के नए प्रावधान सामने आएंगे।
प्रज्ञा त्रिपाठी, भाजपा नेत्री
-
एक्सपर्ट व्यू
आजादी के बाद से अब तक महिलाओं का प्रतिनिधित्व लोकसभा और विधानसभा में बहुत कम रहा है। इन सदनों में संख्या बढ़ेगी तो वह महिलाओं के हितों की बात उठाएंगी। ३३ प्रतिशत आरक्षण पर्याप्त होता है, अब राजनीति में भी महिलाएं अपना भविष्य तलाश सकेंगी। पंचायतों में भी आरक्षण मिल रहा है लेकिन वहां कमान दूसरों के हाथ में होने की बातें भी सामने आ रही हैं। बड़े सदन में महिला जब खुद बैठेंगी तो उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा। कार्यप्रणाली देखेंगी तो अपने क्षेत्र में विकास के लिए नई योजनाएं भी बनाएंगी। इस आरक्षण का सकारात्मक परिणाम होने की संभावना है। इसका असर राजनीति के अलावा भी दूसरे क्षेत्रों में दिखेगा।
प्रो. उपमा सिंह, राजनीतिक विश्वलेषक
Published on:
20 Sept 2023 03:32 pm
बड़ी खबरें
View Allरीवा
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
