
जब मोदी सरकार के दौर में रद्द कर दी थी अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा शुरू की गई पत्रिका राष्ट्रधर्म की मान्यता
अटल बिहारी बाजपेयी। एक ऐसा नाम, जो जुवां पर आते ही लोगों के मुंह से तारीफों के पुल बंधने लगते है। युवाओं का रक्त इनके बुलंद हौसलों की गाथाओं को सुनकर उथल पुथल हो उठता है। इनके कार्यकाल की कहानियां देश में शासन करने की तहजीब राजनेताओं को देती है। इसका व्यक्तिव किसी महान संत से कम नहीं। लाखों लोगों के आदर्श है यह। वह अब नजर नहीं आते, लेकिन इनके फॉलोअर अब भी करोड़ों में है। यही कारण है कि अटल बिहारी बाजपेयी के तबीयत अधिक बिगडऩे की खबर फैलते की पूरा देश स्तब्ध हो जाता है। लोग यहां-वहां से बस अटलजी के हाल जानने में जुट जाते है। गूगल पर कैसे उनके बारे में पूरी जानकारी मिले बार-बार सर्च करते चले जाते है। बावजूद, इसके अब तक सिर्फ यही खबर है कि अटलजी की तबीयत अधिक खराब है।
सागर. सागर सहित समूचे बुंदेलखंड में अटल बिहारी बाजपेयी जी के स्वास्थ्य खराब होने की खबर मिलते ही सन्नाटा फैल गया। अटल बिहारी बाजपेयी की हालत नाजुक बताई जा रही है। वही एम्स के बुलेटिन का इंतजार किया जा रहा है। सागर, दमोह, टीकमगढ़, छतरपुर और बीना में कई लोग देखने मिल जाएंगे, जो अटल जी के जीवन काल से जुड़े है। कोई उनका नाम लेकर उनके आदर्श को फॉलो कर रहा है तो कोई उनकी कविताओं से जीवन जीने की कला सीख चुका है। उनके किए गए हर कार्य ने वैसे तो देश को नया आयाम दिया है, लेकिन अब उनकी कमी काम अहसास भी लोग करने लगे है। वर्तमान सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी भी अटल बिहारी बाजपेयी के स्वास्थ्य को लेकर पूर्व में अनेक बार चिंता व्यक्त कर चुके है।
जब पीएम मोदी की सरकार ने कर दिए थे अटलजी की पत्रिका की मान्यता रद्द
अटल बिहारी बाजपेयी को अच्छी तरह से जानने वाले लोगों ने पत्रिका को बताया कि मोदी सरकार द्वारा अप्रैल 2017 में देशभर की लगभग 800 पत्रिकाओं की मान्यता रद्द कर दी थी। जिसमें अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा शुरू की गई पत्रिका राष्ट्रधर्म की भी केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन आने वाले डायरेक्टोरेट ऑफ एडवरटाईजिंग एंड विजुअल पलिब्लिसीटी द्वारा मान्यता रद्द कर दी गई थी। इस मान्यता के रद्द हो जाने के बाद अब इस पत्रिका को केंद्र सरकार के विज्ञापन बंद कर दिए थे। हालांकि इस पत्रिका के संपादकीय और प्रबंधकीय दल की ओर से कहा गया था कि इस तरह का कार्रवाई गलत है। इसके बाद मोदी सरकार का विरोध भी हुआ था।
इस मामले में राष्ट्रधर्म के प्रबंधक पवन पुत्र बादल ने अप्रैल 2017 में प्रेस को बताया था कि राष्ट्रधर्म पत्रिका का प्रकाशन तो आपातकाल के समय भी बंद नहीं हुआ था। उनका कहना था कि कॉपी बंद न होने की स्थिति में नोटिस दिया जा सकता था। सीधे कार्रवाई करना ठीक नहीं था। गौरतलब है कि इस पत्रिका की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी वे इस पत्रिका के संस्थापक सदस्य थे।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय को पत्रिका के संस्थापक प्रबंधक बनाया गया था। यह पत्रिका राष्ट्रीय स्वयं संघ के द्वारा राष्ट्र के प्रति लोगों के धर्म को लेकर जागरूक करने का कार्य करती रही है। गौरतलब है कि डीएवीपी ने कुछ और पत्र पत्रिकाओं की मान्यता रद्द की है, जिसमें लगभग 804 पत्र व पत्रिकाऐं शामिल थी।
Published on:
16 Aug 2018 03:22 pm
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