
What is the first digital library of earthworms know
सागर. देश में केंचुओं की 452 प्रजातियों को आसानी से पहचाने वाली डिजिटल लाइब्रेरी तैयार हो गई है। यह काम डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि ने किया है। विवि द्वारा तैयार की गई अर्थवर्मस ऑफ इंडिया की वेबसाइट में यह लाइब्रेरी है। इसमें केंचुए की सभी प्रजातियों की तस्वीरें भी हैं। इनके माध्यम से केंचुए की प्रजातियों की पहचान करना आसान हो गया है। अब यदि कोई भी व्यक्ति किसी केंचुए की प्रजाति जानना चाहता है तो वह उसका डीएनए टेस्ट कराकर लाइब्रेरी में सिग्नेचर बता दे तो उसे उस केंचुए की प्रजाति की जानकारी लग जाएगी।
तीन साल पहले शुरू हुआ था रिसर्च कार्य
विवि के जूलॉजी विभाग ने तीन साल पहले केंचुओं की प्रजातियों पर रिसर्च करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार को प्रपोजल भेजा था, जिसे मंजूरी मिली थी। विभाग का यह अब तक का १८वां प्रोजेक्ट है। रिसर्च टीम में विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर स्वेता यादव मुख्य इन्वेस्टीगेटर, को-इन्वेस्टीगेटर दिल्ली की प्रो. पुष्पलता सिंह थीं। वहीं अन्य सदस्यों में जूलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया के राहुल पालीवाल सहित छह वैज्ञानिक थे।
५०५ के मुकाबले ४५२ प्रजातियां ही मिलीं
प्रो. स्वेता यादव बताती हैं कि दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने अपने-अपने शोध में ५०५ केंचुए की प्रजातियां मानी थी। लेकिन रिसर्च द्वारा पता चला है कि देश में केंचुए की ४५२ प्रजातियां हैं। उन्होंने यह दावा केंचुए के डीएनए के आधार पर किया है। उन्होंने बताया कि अलग-अलग जगहों पर केंचुओं पर रिसर्च हुए हैं। कई मामलों में एक प्रजाति को दो-दो अलग नाम दिए गए। जबकि वे एक ही हैं। प्रो. यादव ने बताया कि सागर में १६ प्रजातियां हैं।
२०१४ से २०१७ तक की केंचुआ प्रजातियों पर रिसर्च
१६ केंचुओं की प्रजाति सागर में, देशभर में ४५२, वेस्ट घाट, नोर्थ ईस्ट, मिडिल इंडिया सहित अन्य क्षेत्रों में
कुलपति द्वारा इस प्रोजेक्ट को गंभीरता से लिया था। इसके बाद इसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भेजा गया। मंजूरी मिलने के बाद रिसर्च शुरू की। देश की यह पहली लाइब्रेरी है। केंचुओं पर रिसर्च अभी जारी है।
-डॉ. स्वेता यादव, एसोसिएट प्रोफेसर
जूलॉजी एवं रिसर्च इन्वेस्टीगेटर
Published on:
01 Feb 2018 12:53 pm
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