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कैसे हो गए MP Police के इस इंस्पेक्टर के हाल,ये सोचने से पहले जानें तस्वीर का सच

कैसे हो गए MP Police के इस इंस्पेक्टर के हाल, ये सोचने से पहले जानें तस्वीर का सच

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सागर

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Samved Jain

Aug 12, 2018

कैसे हो गए MP Police के इस इंस्पेक्टर के हाल,ये सोचने से पहले जानें तस्वीर का सच

कैसे हो गए MP Police के इस इंस्पेक्टर के हाल,ये सोचने से पहले जानें तस्वीर का सच

सागर. आमतौर पर हम जो देखते है उस पर प्रतिक्रिया देने में पल भर का भी वक्त नहीं लगाते। यह तस्वीरें उन लोगों के लिए उदाहरण हो सकती हैं। जी हां, मप्र पुलिस के किसी इंस्पेक्टर की वर्दी सें नजर आ रहे व्यक्ति को देखकर हर आंख धोखा खा सकती है। कोई इसे बदहाली का शिकार तो कोई मानसिक रोगी पुलिस वाला कह सकता है, लेकिन हकीकत जानने के लिए कोई नहीं पहुंचता। ऐसा ही नजारा उस वक्त भी देखने मिला, जब मंदिर के बाहर वर्दी वाले भिखारी को यहां पहुंचने वाले किसी भी भक्त ने अनदेखा नहीं किया। कुछ खुस-खुस भी करते लोग नजर आए। कुछ ने तो वीडियो और फोटो भी मोबाइल से लिए, लेकिन हकीकत नहीं जानी।

जानकारी पत्रिका के पास पहुंचती है। नजारा देखकर हम दंग रह जाते है। कंधे पर थ्री स्टार, नेमप्लेट लगी पुलिस की वर्दी पहने एक व्यक्ति भिखारियों के साथ बैठकर भीख मांग रहा होता है, लेकिन पैनी नजर धोखा नहीं खा सकती। हमने तत्काल ही उस व्यक्ति ने उसका परिचय जाना और जो सच सामने आया वह वांकई कुछ अलग था। उसने अपना नाम मथुरा प्रसाद रजक बताया। जो पेशे से कोई पुलिस इंस्पेक्टर नहीं, बल्कि भिखारी है। अब सवाल यह उठते है कि भिखारी के पास पुलिस इंस्पेक्टर की वर्दी कैसे आई? उसने पहनी क्यो? और पहनने के बाद क्या रेस्पांस मिला? जिसे भी हमने जानने का प्रयास किया।

मथुरा प्रसाद रजक कहते है
सागर शहर के शनि मंदिर के बाद पुलिस की वर्दी पहनकर भीख मांगते देखे गए मथुरा रजक का कहना था कि यह यूनीफार्म तो उसे किसी महिला द्वारा दिए गए पुराने कपड़ों की गठान में मिली है। पुलिस की वर्दी दिखी तो उससे सबसे अच्छी लगी और उसे ही पहनकर भीख मांगने आ गया। इसे पहनकर अच्छा महसूस हो रहा है। थानेदार तो हम बन नहीं सकते, लेकिन इसे पहनने के बाद सबकी नजर उस पर थी। यही काफी है। हालांकि, आम दिनों की अपेक्षा उसे कम भीख इस कारण मिल सकी।

एक सवाल, दीजिए जवाब
मथुरा प्रसाद की इस तस्वीर के सामने आने के बाद भले ही वर्दी की कीमत मथुरा को समझ आ गई हो, लेकिन आम लोगों ने जब इसे देखा तो वर्दी देखने के बाद हाल जानने का प्रयास नहीं किया। ये सच भी हो सकता था। मजबूरी कुछ भी करा सकती है, ऐसे में क्या हमारी जिम्मेदार जनता का कर्तव्य नहीं बनता कि वह एक बार ऐसे मामलों में वजह जानने का प्रयास तो जरूर करें?