
Bhimkund a mysterious water source history
भीमकुंड, छतरपुर. जलस्रोतों में जल का बढऩा और कम होना आम बात हो सकती है, लेकिन मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड में एक ऐसा जलस्रोत भी है। जिसमें अचानक से बढ़ता पानी एक खतरनाक मैसेज देता है। भीमकुंड के नाम से मशहूर यह जलस्रोत छतरपुर जिले में है। भीमकुंड के बारे में कहा तो यहां तक जाता है कि 2004 में दक्षिण में आई सुनामी के पहले ही इस कुंड ने बड़े प्रलय का संकेत दे दिया था। जब ऐसी खबर फैली तो वैज्ञानिकों ने भी यहां शोध किया था,पानी बढ़ते ही मिले संकेत में दिल्ली में भूकंप के झटके सहित उदाहरण सामने आए थे। हालांकि, भीमकुंड में यह कैसे और किस कारण से संभव है यह अभी तक वैज्ञानिक भी पता नहीं लगा सके है। इतना ही नहीं भीमकुंड की गहराई कितनी है, इसे नापने में भी वैज्ञानिक असफल हो चुके है। रहस्यों से भरे भीमकुंड को लेकर वैसे तो अनेक कहानियां प्रचलित है, लेकिन आज 2019 में हम आपको भीमकुंड से जुड़े रहस्य में कुछ नया बताने जा रहे है।
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित भीमकुंड देखने में एक साधारण कुंड लगता है। भीमकुंड की विशेषता है कि जब भी एशियाई महाद्वीप में कोई प्राकृतिक आपदा घटने वाली होती है तो इस कुंड का जलस्तर पहले ही बढऩे लगता है। आचनक जलस्तर बढऩे की जानकारी यहां मौजूद लोग तत्काल ही प्रशासन तक पहुंचाते है। इसके बाद जो तस्वीरें सामने आती हैं, वह भीमकुंड की प्रमाणिकता को दर्शाती है। इस अनोखे भीमकुंड को देखने और जानने के लिए अब देशभर से यहां पर्यटकों पर पहुंचना होता है। भीमकुंड के बारे में अब यह चर्चा आम हो गई है कि जब भौगोलिक घटना होने वाली होती है यहां का जलस्तर बढऩे लगता है, जिससे क्षेत्रीय लोग प्राकृतिक आपदा का पहले ही अनुमान लगा लेते हैं. दिल्ली और गुजरात में आए भूकंप के दौरान भी यहां का जलस्तर बढ़ा था। सुनामी 2004 के दौरान तो कुण्ड का जल 80 फीट ऊपर तक आ गया था।
सुनामी के समय उठी थी ऊंची लहरें
अपने आप में अद्भुत यह रहस्मयी कुंड कई कारणों से लोगों की जिज्ञासा और शोध का केंद्र रहा है। सुनामी आपदा के समय इस कुंड में करीब 80 फीट तक ऊंची लहरें उठी थीं। जिसके बाद से यह देश- विदेश की मीडिया की सुर्खियां बना था। यदि किवदंतियों को सही माना जाए तो कुंड से निकली जलधारा अंदर ही अंदर संगम में जाकर मिलती है। कहा जाता है कि वर्षों पहले किसी ने इसका रहस्य जानने के लिए कोई वस्तु इसमें डाली थी जो संगम में मिली थी। सुनामी 2004के समय इसमें लहरें उठने के बाद डिस्कवरी चैनल की टीम इसका रहस्य जानने आई थी। उनके गोताखोरों ने कई बार इसके कुंड में गोता लगाए थे पर वे न तो इसकी गहराई माप सके और न यह पता कर सके कि इसमें सुनामी के समय लहरें उठने का क्या कारण था अलबत्ता उन्हें इसकी गहराई में कुछ विचित्र और लुप्त प्राय जलीय जीव-जंतु देखने को जरूर मिले थे।
महाभारत काल से भी जुड़ी है भीमकुंड की कहानी
भीमकुंढ की कहानी महाभारत काल से भी जुड़ी हुई है। चारों ओर से कई प्रकार की दुर्लभ वनस्पतियों और वृक्षों से आ'छादित भीमकुंड के बारे में कहा जाता है कि यह भीम के गदा के प्रहार से अस्तित्व में आया था। जनश्रुतियों के अनुसार अज्ञातवास के समय जंगल में विचरण के समय द्रोपदी को प्यास लगी तो उन्होंने भीम से पानी लाने को कहा। भीम ने वहां एक स्थान पर अपनी गदा से पूरी ताकत से प्रहार किया तो वहां पाताली कुंड निर्मित हुआ और अथाह जल राशि नजर आई जिसके बाद से इसका नाम भीमकुंड हो गया।
चट्टानों के बीच से नजर आता है आसमान
यहां चट्टानों के बीच निर्मित प्राकृतिक गुफाएं पांडवों के रहने का प्रमाण देती हैं। अंदर से देखने पर ऊपर चट्टानों के बीच से आसमान गोलाकार नजर आता है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे यहां की चट्टानों की छत को किसी ने गोल आकार के रूप में काटा है। जहां चट्टानों के बीच गोलाकार विशाल छेद है उसे ही भीम की गदा के प्रहार से निर्मित माना जाता है। इस स्थान की खासियत यह है कि यहां जोर से बोलने पर ईको साउंड निर्मित होता है।
भीमकुंड की गहराई कितनी है?
भीमकुंड अपनी इस खास वजह के कारण भी प्रचलित है। भीमकुंड की गहराई कितनी है, यह अब तक किसी को पता नहीं लग सका है। बताते है कि कुंड के रहस्य को जानने के लिए देश और विदेश से बड़ी-बड़ी खोजी टीमें भी यहां पहुंच चुकी है,लेकिन किसी के हाथ में भी भीमकुंड की गहराई से जुड़े एक्चुअल फेक्ट हाथ नहीं लग सके है।
भीमकुंड का पानी भी है जादुइ्र्र
कुंड के जल की खासियत यह भी है कि यह अत्यंत निर्मल और नीले रंग का व पारदर्शी है। जिसकी वजह से कुंड की काफी गहराई तक अंदर तक की चीजें नजर आती हैं। कहा जाता है कि इसका पानी हिमालय के पानी जैसी गुणवत्ता वाला मिनरल वाटर है। लोग इसका जल बोतलों में भरकर अपने साथ ले जाते हैं।
Published on:
16 Apr 2019 03:55 pm
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