प्लेटलेट्स काउंट 50 हजार से कम होने पर रहता है खतरा
विशेषज्ञों की मानें तो बारिश के बाद डेंगू का सीजन शुरू हो जाता है। घरों के आसपास जमा हुए साफ पानी में डेंगू के लार्वा पनपते हैं और मच्छर के काटने पर वायरस शरीर में चला जाता है। इसी सीजन वायरल फीवर व मलेरिया में कहर बरपाते हैं। ऐसे में शरीर की प्लेटलेट्स जो सामान्य स्थिति में डेढ़ से छह लाख होनी चाहिए वह गिर जाती हैं, डॉक्टर्स की मानें तो प्लेटलेट्स काउंट 50 हजार और उससे कम होने पर जान पर भी बन आती है।जल्द रिकवर हो रहे मरीज
बीएमसी में 8-10 मरीज तो शहर की निजी अस्पतालों में रोज 3-4 संदिग्ध मरीज पहुंच रहे हैं। संभागीय मुख्यालय की अस्पतालों में प्रतिदिन 8 से 10 मरीज ऐसे पहुंच रहे हैं, जिनकी प्लेटलेट्स 40 से 20 हजार के बीच होतीं हैं, जो की गंभीर स्थिति है, हालांकि डॉक्टर्स बता रहे हैं कि राहत की बात यह है कि अस्पताल में पहुंचने वाले इन मरीजों की सेहत 2-3 तीन में सुधर रही है।एलाइजा की जगह सीबीसी जांचें हो रहीं
जिले में डेंगू की एलाइजा जांच सिर्फ बीएमसी में ही हो रही है, जांच में शुद्धता तो होती है, लेकिन इसमें समय लग जाता है, इसलिए मरीज व डॉक्टर्स प्लेटलेट्स काउंट के लिए ब्लड की सीबीसी जांच कराकर इलाज शुरू कर देते हैं। यही कारण है कि जिले में डेंगू के दर्ज केस की संख्या मात्र 68 रह गई है।देवेश पटैरिया जिला मलेरिया अधिकारी।