कार्बन उत्सर्जन कम होने से प्रदूषण घटेगा
इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग बढऩे से सबसे ज्यादा असर पर्यावरण पर आएगा। डीजल-पेट्रोल की खपत कम होगी तो इनसे चलने वाले वाहनों की संख्या कम होने से कार्बन उत्सर्जन कम होगा। इससे जो प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हो रही है वह थमेगी। श्वास संबंधी बीमारियों के साथ एलर्जी, आंखों की समस्या आदि में भी कमी आएगी।ऐसे बदल रही स्थिति
ऑटो एनालिस्ट का कहना है कि 10 साल पहले आए इलेक्ट्रिक वाहन महंगे तो थे ही साथ ही उनकी क्षमता 100-200 किमी तक थी। शुरूआत में लोगों को इवी पर विश्वास भी नहीं था। आज की स्थिति में 300 से 800 किलोमीटर रेंज तक की कार मार्केट में हैं। लगातार तकनीक में सुधार हो रहा है तो वहीं वाहनों की कीमत भी लगातार कम हो रही है। आज जो कार 50 लाख से ऊपर की है वह आने वाले समय में 20 लाख की रेंज में होगी।बीएस-7 आने के बाद डीजल-पेट्रोल कार बाहर होंगी
विशेषज्ञों का कहना है कि ऑटो मोबाइल बाजार में कार्बन उत्सर्जन को रोकने की दिशा में काम हो रहा है। वर्तमान में बीएस-6 तकनीक के इंजन आ रहे हैं। कई कंपनियों ने डीजल इंजन बनाना बंद कर दिया है। कुछ ही समय में बीएस-7 लॉन्च होगा तो डीजल सेगमेंट की अधिकांश गाडिय़ां बंद हो जाएंगीं साथ ही कई पेट्रोल वाली गाडिय़ां भी बाजार से बाहर होंगीं। नई तकनीक से बनने वाली डीजल-पेट्रोल सेगमेंट की गाडिय़ों की कीमत बढ़ेगी।संभाग में इलेक्ट्रिक वाहनों की वर्तमान स्थिति
1- सागर : 2280 इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हैं, तो 3000 से ज्यादा बिना रजिस्टर्ड वाहन हैं2- छतरपुर : 4500 इवी पंजीकृत हैं, जबकि 3000 अपंजीकृत वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं।
3- टीकमगढ़ : 1150 इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हैं, 500 अपंजीकृत।
4- दमोह : 1500 के करीब इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत, 700 के करीब अपंजीकृत।
– 10 साल में स्थिति बदलेगी
प्रशांत मेहता, ऑटो एनालिस्ट