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इस मंत्र के जाप से साक्षात प्रकट हो जाते है हनुमान

locationसागरPublished: Jun 05, 2018 04:52:00 pm

Submitted by:

Samved Jain

इस मंत्र के जाप से साक्षात प्रगट हो जाते है हनुमान

प्रकट

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सागर. भगवान हनुमान को चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है। कहा जाता है कि वे आज भी जीवित हैं और हिमालय के जंगलों में रहते है। वे भक्तों की सहायता करने मानव समाज में आते हैं लेकिन किसी को आंखों से दिखाई नहीं देते,लेकिन एक ऐसा मंत्र है जिसके जाप से हनुमान जी भक्त के सामने साक्षात प्रकट हो जाते हैं, ऐसी मान्यता कुछ वर्षों से प्रचलित है। संत समाज भी इसे स्वीकार्य करता है।
बुंदेलखंड के प्रसिद्ध आचार्य पंडित रवि शास्त्री भी मानते है मंत्र की शक्ति से हनुमान जी को महसूस किया जा सकता है। उस वक्त आपको ऐसा लगता है जैसे भगवान आपके सामने ही प्रगट हो चुके है। हालांकि, मंत्रोच्चारण को लेकर भी कुछ विधि और नियमों का लेख है। यह बात आचार्य शास्त्री ने दमोह में चल रहे विशाल शिवलिंग निर्माण कार्यक्रम के दौरान शिव महिमा के साथ-साथ हनुमानजी के जीवन पर विस्तृत वृतांत सुनाते हुए कही।
इस मंत्र के जाप से साक्षात प्रगट हो जाते है हनुमान
 

ये है मंत्र, लेकिन ऐसा नहीं तो मंत्र नहीं करेगा काम

पंडित रवि शास्त्री के अनुसार जिस चमत्कारिक मंत्र की हम बात कर रहे है। वह मंत्र यह है।


कालतंतु कारेचरन्ति एनर मरिष्णु , निर्मुक्तेर कालेत्वम अमरिष्णु।।


इस मंत्र के जाप करने से भगवान के प्रगट होने की मान्यता हैं, लेकिन इसके लिए कुछ नियम है। मंत्र काम नहीं करता है तो उसके पीछे दो कारण हो सकते है। जिन्हें भी आप जान लीजिए। पहला यह कि भक्त को अपनी आत्मा के हनुमानजी के साथ संबंध का बोध होना चाहिए। जबकि दूसरा कारण यह है कि जिस जगह पर यह मंत्र जाप किया जाए उस जगह के 980 मीटर के दायरे में कोई भी ऐसा मनुष्य उपस्थित न हो जो पहली शर्त को पूरी न करता हो। अर्थात या तो 980 मीटर के दायरे में कोई नहीं होना चाहिए अथवा जो भी उपस्थित हो उसे अपनी आत्मा के हनुमान जी के साथ सम्बन्ध का बोध होना चाहिए।
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इस महामंत्र के पीछे यह है कथा


यह मंत्र स्वयं हनुमान जी ने पिदुरु पर्वत के जंगलों में रहने वाले कुछ आदिवासियों को दिया था। पिदुरु (पूरा नाम “पिदुरुथालागाला ) श्री लंका का सबसे ऊँचा पर्वत है। जब प्रभु रामजी ने अपना मानव जीवन पूरा करके समाधि ले ली थी तब हनुमान जी पुन: अयोध्या छोड़कर जंगलों में रहने लगे थे। उस समय वे लंका के जंगलों में भी भ्रमण हेतु गए थे जहां उस समय विभीषण का राज्य था। लंका के जंगलों में उन्होंने प्रभु राम के स्मरण में बहुत दिन गुजारे। उस समय पिदुरु पर्वत में रहने वाले कुछ आदिवासियों ने उनकी खूब सेवा की।
इस मंत्र के जाप से साक्षात प्रगट हो जाते है हनुमान
 

आदिवासियों को दिया था मंत्र


जब वे पिदुरु से लौटने लगे तब उन्होंने यह मंत्र उन जंगल वासियों को देते हुए कहा – “मैं आपकी सेवा और समर्पण से अति प्रसन्न हूं। जब भी आप लोगों को मेरे दर्शन करने की अभिलाषा हो, इस मंत्र का जाप करना मै प्रकाश की गति से आपके सामने आकर प्रकट हो जाउंगा। जंगल वासियों के मुखिया ने कहा -“हे प्रभु , हम इस मंत्र को गुप्त रखेंगे लेकिन फिर भी अगर किसी को यह मंत्र पता चल गया और वह इस मंत्र का दुरुपयोग करने लगा तो क्या होगा। तब हनुमान जी ने उतर दिया कि आप उसकी चिंता न करें। अगर कोई ऐसा व्यक्ति इस मंत्र का जाप करेगा जिसको अपनी आत्मा के मेरे साथ सम्बन्ध का बोध न हो तो यह मंत्र काम नहीं करेगा।
इस मंत्र के जाप से साक्षात प्रगट हो जाते है हनुमान
 

हनुमान जी ने दिए थे इतने सरल जबाव

मान्यता है कि जंगलवासियों के मुखिया ने पूछा था कि “भगवन , आपने हमें तो आत्मा का ज्ञान दे दिया है जिससे हम तो अपनी आत्मा के आपके साथ सम्बन्ध से परिचित हैं, लेकिन हमारे बच्चों और आने वाली पीढिय़ों का क्या ? उनके पास तो आत्मा का ज्ञान नहीं होगा। उन्हें अपनी आत्मा के आपके साथ सम्बन्ध का बोध भी नहीं होगा। इसलिए यह मंत्र उनके लिए तो काम नहीं करेगा। जिस पर हनुमान जी ने कहा था कि मैं यह वचन देता हूं कि मैं आपके कुटुंब के साथ समय बिताने हर 41 साल बाद आता रहूंगा और आकर आपकी आने वाली पीढिय़ों को भी आत्म ज्ञान देता रहंूगा जिससे कि समय के अंत तक आपके कुनबे के लोग यह मंत्र जाप करके कभी भी मेरे साक्षात दर्शन कर सकेंगे। इस कुटुंब के जंगलवासी अब भी श्रीलंका के पिदुरु पर्वत के जंगलों में रहते हैं। वे आदिवासी आज तक आधुनिक समाज से कटे हुए हैं। इनके हनुमान जी के साथ विचित्र सम्बन्ध के बारे में पिछले साल ही पता चला जब कुछ अन्वेषकों ने इनकी विचित्र गतिविधियों पर गौर किया गया है।
इस मंत्र के जाप से साक्षात प्रगट हो जाते है हनुमान
 

2055 में फिर आएंगे हनुमानजी


हर 41 साल बाद होने वाली घटना का हिस्सा हैं जिसके तहत हनुमान जी अपने वचन के अनुसार उन्हें हर 41 साल बाद आत्म ज्ञान देते आते हैं। हनुमान जी उनके पास 2014 में भी यहां रहने आए थे ऐसा भी कहा जाता है। इसके बाद वे 41 साल बाद यानि 2055 में आएंगे,लेकिन वे इस मंत्र का जाप करके कभी भी उनके साक्षात् दर्शन प्राप्त कर सकते हैं। जब हनुमान जी उनके पास 41 साल बाद रहने आते हैं तो उनके द्वारा उस प्रवास के दौरान किए गए हर कार्य और उनके द्वारा बोले गए हर शब्द का एक एक मिनट का विवरण इन आदिवासियों के मुखिया बाबा मातंग अपनी हनु पुस्तिका में नोट करते हैं।
इस मंत्र के जाप से साक्षात प्रगट हो जाते है हनुमान
 

सेतु एशिया नामक आध्यात्मिक संगठन के पास है पुस्तिका


पंडित रवि शास्त्री ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए बताया कि हनुमानजी के जीवन से जुड़ी ये पुस्तिका सेतु एशिया नामक आध्यात्मिक संगठन के पास है। सेतु के संत पिदुरु पर्वत की तलहटी में स्थित अपने आश्रम में इस पुस्तिका तो समझकर इसका आधुनिक भाषाओं में अनुवाद करने में जुटे हुए हैं ताकि हनुमान जी के चिरंजीवी होने के रहस्य पर्दा उठ सके,लेकिन इन आदिवासियों की भाषा पेचीदा और हनुमानजी की लीलाएं उससे भी पेचीदा होने के कारण इस पुस्तिका को समझने में काफी समय लग रहा है पिछले 6 महीने में केवल 3 अध्यायों का ही आधुनिक भाषाओं में अनुवाद हो पाया है। इस पुस्तिका में से जब भी कोई नया अध्याय अनुवादित होता है तो सेतु संगठन का कोलम्बो ऑफिस करता है।
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