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होली के पद गायन के साथ बिहारी जी मंदिर में खेली होली

करीब डेड़ सौ साल से खेली जा रही है श्री देव अटल बिहारी जी मंदिर में प्राकृतिक रंगो से होली, मिनी वृंदावन के नाम से प्रसिद्ध है सागर का बड़ा बाजार क्षेत्र, एक दर्जन से ज्यादा हैं इस क्षेत्र में भगवान श्री कृष्न मंदिर, घुरेड़ी पर होली के पद का होता आ रहा है गायन, पंचमी पर होती है पिचकारी से रंगो की बौछार, जब ढोलक की थाप और हारमानियम पर धुन बजी तो श्रद्धालु स्वमेव ही नाचने लागे

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Holi played in Bihari ji temple with the singing of Holi

Holi played in Bihari ji temple with the singing of Holi

सागर. शहर के बड़ा बाजार क्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण के विभिन्न स्वरुपों के एक दर्जन से ज्यादा मंदिर हैं। इन मंदिरों में विभिन्न पर्वो पर तो कार्यक्रम आयोजित होते ही हैं लेकिन होली व रंग पंचमी पर भगवान श्री कृष्ण के साथ होली खेलने का पारंपरिक रिवाज ख्यात है। सागर का मिनी वृदंवन के नाम से ख्यात इस क्षेत्र में स्थित श्री देव अटल बिहारी जी मंदिर में धुरेड़ी पर होली के पद गायन के साथ होली खेली गई। इस मंदिर में रंग पंचमी पर प्राकृतिक रंगो से होली खेलने का रिवाज करीब डेड़ सौ से जारी है। जब ढोलक, हारमोनियम, झूला, मंजीरों पर बजे तो श्रद्धालु कृष्ण भक्ति में स्वमेव ही नाचने लगे। मंदिर के पुजारी पं. अमित चाचौंदिया के सानिध्य में भगवान बिहारी जी सरकार को रंग लगाने के साथ ही आपस में रंग, गुलाल और अबीर से होली खेली जाती है। इस मंदिर में धुरेड़ी-पंचमी पर होली खेलने सैंकड़ो श्रद्धालु पहुंचते हैं। पं. चाचौंदिया व सहयोगी पं. महेंद्र कुमार पारासर ने बताया कि मंदिर में होली खेलने की पंरपरा प्राचीन है। मंदिर में होली खेलने की पंरपरा पं. प्रेमनारायण चाचौंदिया ने आरंभ की थी। चाचौंदिया परिवार की यह पाचवीं पीढ़ी है जो यह आयोजन कर रही है। उन्होंने बताया कि धुरेड़ी पर पं. आलोक मेहता व उनके साथियों के साथ श्रद्धालु होली के पद का गायन कर होली खेलते हैं। मेहता परिवार भी कई पीढि़यों से यह आयोजन करता आ रहा है। पं. पारासर ने बताया कि पंचमी पर दोपहर १२ बजे से रंगों की बौछार आरंभ होती है। पं. चाचौंदिया बड़ी पिचकारी के साथ रंगों की बौछार इस आयोजन में सर्वाधिक महिलाएं शामिल होती हैं। पूर्व में टेशु व अन्य फूलों से रंग बनाकर होली खेली जाती है। बताया जाता है कि मंदिर में होली खेलने का विशेष महत्व है। इस क्षेत्र में श्री द्वारिकधीश मंदिर, श्री जुगल बिहारी जी मंदिर, श्री देव रसिक बिहारी जी मंदिर, श्री देव राधा-माधव मंदिर, नया मंदिर सहित अन्य कृष्ण मंदिरों में होता है आयोजन।