– सवाल : नए कानून को लागू करने का मुख्य उद्देश्य क्या है ? – जवाब : नया कानून लाने के पीछे का उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली को आधुनिक बनाने और त्वरित न्याय सुनिश्चित कराना था, लेकिन इस बदलाव से पुलिस, वकील और न्यायालय की कार्यप्रणाली में कोई खास बदलाव समझ नहीं आ रहा है।
– सवाल : आइपीसी को बीएनएस करके क्या खास बदलाव हुआ है ? – जवाब : आइपीसी में 23 अध्याय और 511 धाराएं थीं, जिन्हें बीएनएस में 20 अध्याय और 358 धाराओं में बदल दिया गया है। बीएनएस में जो मुख्य अपराध जोड़े गए हैं, उसमें साइबर अपराध, संगठित अपराध, आतंकवाद, पर्यावरण कानून, मानवाधिकार जैसे मुद्दे शामिल हैं, यह सब आइपीसी में नहीं थे। इसके अलावा बीएनएस में महिलाओं और पुरुषों के साथ अपराध करने पर समान सजा होगी। नए कानून में राजद्रोह को अपराध नहीं माना जाएगा। हालांकि इसकी जगह धारा 152 में भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने के अपराध को शामिल किया गया है।
– सवाल : क्या व्यवस्था से जुड़े लोग इसे पूर्ण रूप से ग्रहण कर पाए ? – जवाब : वर्तमान में चाहे पुलिस, वकील और न्यायाधीश सभी ने आइपीसी पढ़ी है। नया कानून लागू हुए करीब 11 माह बीत चुके हैं, लेकिन सभी लोग आइपीसी को ध्यान में रखकर ही काम कर रहे हैं। न्यायालय में जो प्रकरण विचाराधीन है, उनमें भी 90 प्रतिशत आइपीसी की धाराओं वाले हैं, जो सालों से न्यायालय में चल रहे हैं। नए कानून को पूर्ण रूप से लागू होने में अभी 5 साल से ज्यादा समय लग जाएगा।
– सवाल : नए कानून में आइपीसी की किन-किन धाराओं को विलोपित किया गया है ? – जवाव : नए कानून में 124(ए) – राजद्रोह, 309 आत्महत्या का प्रयत्न, 377 अप्राकृतिक अपराध व 497 जारकर्म वे मुख्य धाराएं हैं, जिन्हें नए कानून में विलोपित किया गया है।
– सवाल : एक अधिवक्ता के तौर पर आपको इस बदलाव से क्या अंतर समझ आया ? – जवाव : कानून में किए इस बदलाव से कोई खास अंतर समझ नहीं आ रहा है। 1860 में तैयार आइपीसी में उन सभी अपराधों को लेकर धाराएं थीं, जिसकी कल्पना की जा सकती है। बीएनएस में उनमें से कुछ धाराओं को हटाकर नए अपराधों को जोड़ा गया है, यही केवल बदलाव समझ मेें आ रहा है। हां इससे पुलिस से लेकर वकील सभी भ्रमित हो रहे हैं। आने वाली पीढ़ी ही बीएनएस को पूर्णत: स्वीकार कर पाएगी।