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तपोवन में आचार्य निर्भय सागर महाराज के ससंघ के सानिध्य व प्रतिष्ठाचार्य ब्र. राकेश भैया के निर्देशन में वेदी शुद्धि का आयोजन किया गया। विधान से पूर्व आचार्य ने प्रवचन सभा में कहा कि जैसे बरसात में पेड़ों को पानी सींचना, धूप में प्रकाश के लिए दीपक जलाना और निरोगी को दवा खिलाना व्यर्थ है, वैसे ही जिसे सहयोग की आवश्यकता नहीं, उन्हें सहयोग करना व्यर्थ है। जियो और जीने दो के सिद्धांत का पालन करने वाले हमेशा क्षमा, दया और सहयोग की भावना रखते हैं। आचार्य ने कहा पेट में अग्नि है। पेट रूपी अग्नि से भोजन पचता है, यदि प्रभु का नाम और मंत्र जाप करके पेट रूपी अग्नि में भोजन रूपी आहुति डाली जाएगी, तो वह हवन का काम करेगी, इसलिए भोजन करना भी एक यज्ञ हो जाएगा। आचार्य ने वेदी पर मात्रिका यंत्र का लेखन एवं संघस्थ समस्त मुनियों के कमलाशन पर अर्हं का लेखन किया। रविवार को सुबह 6.15 बजे से जिन प्रतिमा की स्थापना की जाएगी।
Published on:
04 May 2025 05:10 pm
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