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जीवन में कोई चूक न हो इस बात का ध्यान रखें

जीवन में कोई चूक न हो इस बात का ध्यान रखें

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जीवन में कोई चूक न हो इस बात का ध्यान रखें

जीवन में कोई चूक न हो इस बात का ध्यान रखें

खुरई. पुरानी गल्ला मंडी के विशाल परिसर में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि प्रमाणसागर ने कहा कि बंधुओं हमारा यह जीवन सार्थक होना चाहिए। हम पेड़ लगाते हैं तो पेड़ फलता है, फूलता है तब तो उसकी सार्थकता है। पेड़ लगाया, खाद-पानी दिया और पेड़ बड़ा हो गया लेकिन उसमें फल-फूल नहीं लगें तो उस पेड़ से क्या मतलब? उसका कोई अर्थ नहीं। पेड़ की सार्थकता तभी है जब उसमें फूल और फल लगें।
मुनिश्री ने कहा कि हमने यह जीवन बहुत मेहनत के साथ खाद-पानी देकर सींचा है अपितु बड़ा भी किया है। अब देखना है कि जीवन वृक्ष फूल और फल दे रहा है कि नहीं। ऐसा तो नहीं कि तुम्हारा जीवन किसी बांझ पेड़ की सेवा में लग गया हो। यदि ऐसा किया तो यह बहुत बड़ी नादानी है। अपने मन को टटोलकर देखिए। अपने मन का विष्लेषण कीजिए और उसको सही दिषा दीजिए। निष्चित रूप से हम अपने जीवन में एक बहुत बड़ी उपलब्धि घटित करने का सौभाग्य पाएंगे। यदि ऐसा नहीं करते हैं तो हमारे बातें केवल बातें ही होगी उसका कोई सार्थक नतीजा हमारे हाथ में नहीं आएगा। हमारा जीवन बहुत थोड़ा है, आज है, कल रहे न रहे इससे पहले कि हमारा जीवन सिमटे हम अपनी जीवन यात्रा में ऊध्र्वारोहण करने का प्रयास करें। अपने चित्त का उदात्तीकरण करने का प्रयास करें। यदि ऐसा करते हैं तो वास्तव में वह हमारे जीवन की सबसे उत्तम घड़ी मानी जाएगी। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो जो हमने पाया है, जीवन में एक अच्छा मौका गवां देंगे।
मुनिश्री ने कहा कि हमारे जीवन में ऐसी कोई चूक न हो पाए, ऐसा प्रयास हमें निरंतर करते रहने की जरूरत है। जब हम चलेंगे तभी हमारा रास्ता पूरा होगा, बातें से नहीं होगा। बातें तो हम लोग बहुत करते हैं, काम कम करते हैं। लंबे प्रवचन की श्रृंखलाएं चलीं तो उन पर आचार्य महाराज ने एक दिन कहा-चिंतन, मनन, प्रवचन बहुत हुए अब कुछ करिए। बात करने की है, करेंगे तभी हम पहुंचेंगे। इस दिषा में हम लोगों को कुछ प्रयास करने की जरूरत है। प्रवचन सभा का संचालन ब्रह्मचारी विमल भैया एवं सहयोग अषोक शाकाहार ने किया।