31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

महार रेजिमेंट के संग्रहालय में सजी हैं रणबांकुरों की विजय की यादें

विशेष अवसरों पर रेजिमेंट के जवानों के परिजन और अधिकारी रेजिमेंट कैंपस में सजी करगिल विजय की यादें को देखने पहुंचते हैं।

2 min read
Google source verification
Kargil Vijay Diwas

Kargil Vijay Diwas

सागर. करगिल पर भारतीय सेना की फतह का जश्न देशभर में मनाया जाता है, लेकिन महार रेजिमेंट के रणबांकुरों ने हिमालय की चोटियों पर जो शौर्य दिखाया, उसकी यादें अब एमआरसी स्थित संग्रहालय में सजी हैं। इनमें युद्ध में पराजय के बाद भागते हुए पाकिस्तानी सैन्य अफसरों की जब्त की गई वर्दी, हथियार, गन व बर्फीली पहाडि़यों पर जवानों के रुकने के लिए शीतरोधी बंकर भी है। विशेष अवसरों पर रेजिमेंट के जवानों के परिजन और अधिकारी रेजिमेंट कैंपस में सजी करगिल विजय की यादें को देखने पहुंचते हैं।
करगिल पर फतह के लिए भारतीय सेना के 529 जवानों ने अपना बलिदान दिया था जिनमें रेजिमेंट की विभिन्न बटालियनों के 24 योद्धा भी शामिल थे। जिनका नाम अब पूरी रेजिमेंट के लिए शौर्य, साहस और सम्मान का प्रतीक बन गया है। महार के योद्धाओं ने करगिल युद्ध के समय सियाचिन के ग्लेशियरों पर भी मोर्चा संभाला था। यहां देश की रक्षा और मातृभूमि के सम्मान कि लिए महार योद्धाओं ने अपना खून बहाया था। इस बलिदान के लिए सियाचिन के ग्लेशियर नंबर ३ पर सैन्य पोस्ट का नाम 9-महार के शहीद मेजर मनोज तलवार के नाम पर रखा गया है।
रेजिमेंट कैंपस में रखी है पाक एफआरपी
महार जवानों की वीरता की निशानी के तौर पर अब रेजिमेंट सेंटर में म्यूजियम मैदान में पाकिस्तानी सेना के बंकर को देखा जा सकता है। यह ऊष्मारोधी बंकर है, जो सियाचिन की बर्फीली हवाओं वाली चोटियों पर पाकिस्तानी जवानों को शरण देता था। युद्ध के दौरान महार के जवानों ने पाक सैनिकों को खदेड़कर इस बंकर पर कब्जा जमाया था और बाद में इसीलिए भारतीय सेना की ओर से इस जब्त किए गए बंकर को महार रेजिमेंट सेंटर को सौंप दिया गया था।
24 योद्धाओं ने दिया था बलिदान
महार रेजिमेंट की बटालियनों के जवानों ने करगिल युद्ध में भारत माता की जय के घोष के साथ सीने पर गोलियां झेलते हुए अपनी जान दे दी थी। सबसे ज्यादा शहीद 12-महार के दस जवान नायक राठौर मुकेश कुमार रमनिक,नायक सच्चिदानंद मलिक, सिपाही अमरेश पाल, सिपाही बरियावाला भाई, सिपाही हरेन्द्र गिरी गोस्वामी, सिपाही दिनेश भाई, लांस नायक कांति भाई कतवाला, नायक श्रीनिवास पात्रो सिंघा, सिपाही हरिकिशन राम, नायक रजत भाई रुमाल, 9-महार के आठ जवान मेजर मनोज तलवार, कैप्टन करम सिंह, हवलदार सुरेश गनपति चावन, नायक रामफल, नायक बृह्मदास, सिपाही प्रेमपाल सिंह, सिपाही रमन सिंह, 19-महार के 6 जवान सिपाही हरिदर्शन नेगी, सिपाही रस्ते वजीर दत्तात्रेय, सिपाही सुनील कुमार, लांस नायक हरिश्चंद्र सिंह, सिपाही श्यामपाल खन्ना के नाम रेजीमेंट और सेना के इतिहास में अमिट हो गए।

पाक अफसर से जब्त की थी वर्दी
महार के लड़ाकों ने करगिल फतह के लिए मशखोह घाटी में मोर्चा संभाला और गोलाबारी कर पाकिस्तानी सेना को पटखनी दी। घबराकर जब पाक फौजी मोर्चा छोड़कर भाग रहे थे तो उनमें पाक सेना का लेफ्टिनेंट मंजूर कादिर भी शामिल था। कादिर इतना डर गया था कि अपना सामान, वर्दी, हथियार भी छोड़ गया था। वहां से जब्त की गई पाक सैन्य अफसर की वर्दी, हथियार, पत्नी को लिखे गए कुछ खत भी महार रेजिमेंट के म्युजियम में रखी गई हैं।