सागर. भगवानगंज में रहने वाले गरीब लोगों के लिए दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती तो वे गुरुद्वारा पहुंच जाते हैं। यहां 50 से अधिक वर्षों से लंगर सेवा की जा रही है। गुरुद्वारा का निर्माण 71 साल पहले तीन समाज के लोगों ने मिलकर कराया था।
भगवानगंज से हर दिन 500 अधिक लोग लंगर चखने के लिए पहुंचते हैं। यह लंगर सिर्फ समाज के लोग नहीं खाते, बल्कि गरीब परिवारों के लिए यहां भोजन बनाया जाता है। सेवादार हर रोज नए-नए व्यंजन यहां बनाते हैं। शहर के जिन परिवारों के लिए खाने का इंतजाम नहीं होता है, वे भी यहां आकर लंगर चखते हैं। गुरु सिंघ सभा के अध्यक्ष सतेन्द्र सिंह होरा ने बताया कि बाहर के राहगीर और गरीबों के लिए यहां हर रोज खाने की व्यवस्था होती है। सर्व संगत और गुुरुद्वारे से खाने की व्यवस्था की जाती है। उन्होंने बताया कि त्योहार पर समाज के लोग खाना बनाते हैं और प्रतिदिन बनने वाले खाने के लिए 4 सेवादार भी हैं। उन्होंने बताया कि जो गुरु द्वारे पर आता है वह भूखे पेट वापस नहीं लौटता है। सचिव सरवजीत सूरी ने बताया कि सिख समाज के लंगर की अपनी अलग पहचान है। अगर लंगर में वैरायटी बहुत ज्यादा हो तो क्या कहना। रोजना अलग-अलग व्यंजन बनाकर गरीबों को परोसे जाते हैं।
यहीं मनाते हैं जन्मदिन और सालगिरह
गुुरुनानक लंगर सेवा के सेवादार अरजीत सिंह आहलूवालिया ने बताया कि 50 वर्षों से अधिक समय से लंगर चल रहा है। उन्होंने बताया कि समाज के लोग अपने जन्मदिन और सालगिरह के अवसर पर लंगर कराते हैं। माह में 20 दिन लंगर ऐसे ही लोगों के द्वारा होता है। उन्होंने बताया कि गुरु की सेवा में जन्मदिन मनाते हैं। जन्मदिन के मौके पर रामवती बाई और राजा कैटर्स द्वारा खाना बनवाया जाता है। दाल, सब्जी, रायता, सलाद और रोटी के साथ मीठे में रसगुल्ला परोसा जाता है। गर्मियों में आइसक्रीम की व्यवस्था भी की जा रही है।