सीमित थी फिजियोथैरिपी की व्यवस्था-बीएमसी के ऑर्थो विभाग में रोज करीब 10-15 ऑपरेशन होते हैं, इसके अलावा लकवाग्रस्त मरीज भी पहुंचते हैं। फिजियोथैरेपी के लिए विभाग में डॉ. अर्चना वर्मा और डॉ. श्रुती शर्मा दो फिजियोथैरेपिस्ट तो हैं लेकिन फिजियोथैरेपी की व्यवस्था सीमित थी। डीन डॉ. पीएस ठाकुर, अधीक्षक डॉ. राजेश जैन, विभागाध्यक्ष डॉ. राघवेंद्र चौबे की पहल पर अब फिजियोथैरेपी विंग शुरू कर दी गई है, जहां आधुनिक मशीनों से रोज 25-30 मरीजों की अलग-अलग थैरेपी की जा रही है।इसलिए कारगर है यह थैरेपी-
विशेषज्ञ डॉक्टर्स की मानें तो हाथ-पैर के ऑपरेशन के बाद जोड़ों में जकडऩ हो जाती है और मूवमेंट में दिक्कतें होती हैं, ऐसे में फिजियोथैरेपी अहम रोल अदा करती है। मांसपेशी, जोड़, हड्डी या नसों में दर्द है तो आधुनिक मशीनों के साथ एक्सरसाइज तकलीफ दूर कर सकता है। मांसपेशियों की ताकत वापिस लाने में यह थैरेपी सहायक होती है।
फिजियाथैरेपी की यह मशीनें आईं–सीटीएम मशीन -अल्ट्रासाउंड थैरेपी मशीन-इंफ्रारेड थैरेपी -सिंगरवॉल ग्रिप एक्ससाइजेस मशीन-वैक्स वाथ मशीन-क्षेत्र के मरीजों के लिए विभाग में फिजियोथैरेपी विंग की व्यवस्था की गई है, जरूरी संसाधन जुटा लिए गए हैं और स्टाफ ने कार्य करना शुरू कर दिया है, जहां मरीज थैरेपी कराने पहुंच रहे हैं।
डॉ. पीएस ठाकुर, डीन बीएमसी।