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निजी स्कूलों में विद्यार्थियों को बैठने और खेलने के लिए नहीं पर्याप्त जगह, नवीन मान्यता के लिए 74 स्कूलों के प्रकरण हुए अमान्य

निजी स्कूलों का संचालन करने के लिए अब उन्हें नवीन मान्यता नियमों पर खरा उतरना जरूरी है। जिले में नवीन मान्यता के लिए प्राप्त प्रकरणों में से 74 स्कूलों के प्रकरण अमान्य कर दिए गए हैं। शासन के नियमों पर खरे नहीं उतरने वाले स्कूलों की मान्यता निरस्त की गई है।

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सागर

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Reshu Jain

Feb 04, 2025

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मान्यता नवीनीकरण के लिए स्कूलों को करना होगा नियमों का पालन

सागर. निजी स्कूलों का संचालन करने के लिए अब उन्हें नवीन मान्यता नियमों पर खरा उतरना जरूरी है। जिले में नवीन मान्यता के लिए प्राप्त प्रकरणों में से 74 स्कूलों के प्रकरण अमान्य कर दिए गए हैं। शासन के नियमों पर खरे नहीं उतरने वाले स्कूलों की मान्यता निरस्त की गई है। अब नवीन मान्यता के आवेदन करने के लिए इन स्कूलों को समस्त नियमों के लिए पूरा करना होगा। इस बार मान्यता के लिए 5 वर्ष का रजिस्र्टड किरायानामा जरूरी कर दिया है, ऐसे में निजी स्कूलों के संचालक मान्यता के निमयों का विरोध भी कर रहे हैं। स्कूल संचालकों का कहना है कि मनमाने नियम बनाकर परेशान किया जा रहा है। यदि ये नियम लागू हुए तो बड़ी संख्या में निजी स्कूलों में ताले डल जाएंगे।
जिले के स्कूलों में पर्याप्त जगह, खेल मैदान और लैब आदि की कमी पाए जाने पर नवीन मान्यता के प्रकरणों को अमान्य किया गया है। कई स्कूल किराए की बिल्डिंग में संचालित किए जा रहे हैं। जगह की कमी के चलते दो-दो शिफ्ट में स्कूल लग रहे हैं। अभिभावकों से खेल के शुल्क के साथ अतिरिक्त सुविधाएं के नाम पर फीस वसूली हो रही है, लेकिन सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।

ये हैं स्कूल संचालित करने के नियम

  • स्कूल भवन एवं स्कूल की खुली भूमि एकीकृत रूप से एक ही भूमि का हिस्सा होंगे, जिस पर मापदंड के अनुसार समुचित खेल मैदान व अन्य सुविधाएं होंगी।
  • स्कूल के लिए न्यूनतम आधा एकड़ भूमि होना चाहिए। यदि विद्यालय कक्षा 1 से 12वीं एवं कक्षा 6वीं से 12वीं तक ही परिसर में संचालित होता है तो न्यूनतम भूमि की उपल्बधता एक एकड़ होनी चाहिए।
  • शैक्षणिक सत्र 2020-21 तक की मान्यता प्राप्त संस्थाओं के पास हाईस्कूल के लिए लगभग 4 हजार वर्गफीट एवं हायर सेकेंडरी के लिए न्यूनतम भूमि 5600 वर्गफीट भूमि होना चाहिए। हाईस्कूल के लिए न्यूनतम 2 हजार वर्गफीट में भवन और 2 हजार वर्गफीट खुली भूमि होना चाहिए। हायर सेकेंडरी के लिए 2600 वर्गफीट में भवन एवं 3 हजार वर्गफीट भूमि खाली होनी चाहिए।
  • प्रत्येक कक्षा वर्ग संकाय एवं अध्ययन के लिए अलग-अलग कमरे होना चाहिए। न्यूनतम क्षेत्रफल 400 वर्गफीट होना चाहिए।
  • प्रत्येक वर्ग में विद्यार्थियों की संख्या अधिकतम 40 होना चाहिए।

शहर के इन स्कूलों के प्रकरण हुए अमान्य
बाबू राव मेमोरियल स्कूल, सागर
आजाद हाईस्कूल, कटरा बाजार
विश्व भारती हाईस्कूल, सुभाषनगर
भारती विद्यामंदिर स्कूल, अंबेडकर वार्ड
ओम हाईस्कूल, भगत सिंह वार्ड
सेंट फ्रांचिस हाईस्कूल सागर, श्यामपुरा
कैंप्यिन पब्लिक हाईस्कूल, संत रविदास वार्ड
जय जागृति हाईस्कूल, संत रविदास वार्ड
सावित्री शिक्षा निकेतन, रश्विंकर वार्ड
योगेश्वर हाईस्कूल, सुभाषनगर
तिलक हाईस्कूल, नेहानगर सागर
आनंद मार्ग हाईस्कूल, नेहानगर
गल्र्स पाठशाला हाईस्कूल, सदर बाजार
आदर्श सरस्वती शिशु मंदिर, शिवाजी नगर
सरस्वती शिशु मंदिर हाईस्कूल, शिवाजी नगर
गणेश वर्णी बाल शंकर हाईस्कूल, लक्ष्मीपुरा
किड्स एकेडमी स्कूल, तिली
वेंडी पब्लिक स्कूल, अशोक रोड
आदित्य विद्या मंदिर हाईस्कूल, आनंद नगर
झूलेलाल हाईस्कूल, संत कंवरराम वार्ड
लोटस पब्लिक स्कूल, सिंरोजा

नवीन मान्यता के नियम ना पालन करने वाले स्कूलों के प्रकरण को अमान्य किया गया है। स्कूलों को संचालित करने के लिए पर्याप्त भूमि का अभाव है। विद्यार्थियों को सुविधाएं नहीं मिल रही है। खेल मैदान नहीं है। तीन-तीन मंजिल में स्कूल संचालित हो रहे हैं, लेकिन खेल मैदान के लिए जगह नहीं है।
मनीष वर्मा, जेडी

जिन स्कूलों के प्रकरण को अमान्य लिया गया है वे स्कूल लोक शिक्षण संचालनालय में अपील करेंगे। नियम के अनुसार स्कूलों को कमी-पूर्ति के लिए 15 दिन का समय दिया जाना था, लेकिन बगैर बातचीत के प्रकरण निरस्त कर दिए गए।
धमेंद्र शर्मा, प्रदेश सेवा संगठन अध्यक्ष