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फोरेंसिक साइंस के क्षेत्र में किताबी ज्ञान से जरूरी है पारखी होना : एफएसएल निदेशक डॉ.हर्ष

दो दिवसीय सेमिनार में हुई अपराध विवेचना में फोरेंसिक साइंस की भूमिका पर चर्चा

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सागर

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Sanjay Sharma

Mar 11, 2019

Seminar in mp state forensic science lab sagar

Seminar in mp state forensic science lab sagar

सागर. बीटी इन्स्टीट्यूट ऑफ एक्सीलेंस में भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसियेशन सागर चेप्टर एवं राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला सागर के संयुक्त तत्वाधान में अपराध रोकथाम में विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी की भूमिका विषय पर दो दिवसीय सेमिनार का रविवार को समापन हुआ। इस अवसर पर न्यायिक विज्ञान प्रयोग शाला सागर की ओर से निदेशक हर्ष शर्मा द्वारा फोरेंसिक साइंस के क्षेत्र में काम कर रहे विद्याॢथयों को प्रोत्साहित करने उन्हें पुरस्कृत किया गया।

सेमिनार के पहले दिन एडीजी तकनीकी डीसी सागर द्वारा संबोधित किए जाने के बाद दूसरे दिन पहले सत्र को न्यायिक विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक डॉ. हर्ष शर्मा ने छात्रों को जरूरी जानकारियों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि केवल किताबी ज्ञान एवं डिग्रीयां लेना काफी नहीं है। इस क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए ज्ञान के साथ नजर का पारखी होना भी जरूरी है। उन्होंने अपने अनुभव भी साझा किए। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए आंध्रप्रदेश विधि विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक आरके सरीन ने नशीले पदार्थों के बढ़ते उपयोग एवं दुष्प्रभावों से अवगत कराया। साथ ही मानव शरीर में नशीले पदार्थों की मात्रा ज्ञान करने की तकनीकों व तरीकों के बारे में बताया।

दिल्ली न्यायिक विज्ञान प्रयोगशाला की असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ.अरुणा मिश्रा ने अपराध के अन्वेषण में फोरेंसिक मनोविज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने मनोविज्ञान संबंधी तकनीकी, ब्रेन मैपिंग, नारको टेस्ट के संबंध में जानकारी देते हुए मुंबई हाईकोर्ट द्वारा मनोवैज्ञानिक टेस्ट की अनुमति व बहुचर्चित प्रकरण दिनेश डालमिया, आरुषि हत्याकांड, शशि मर्डर केस जैसे प्रकरणों को सुलझाने में फोरेंसिक साइंस व तकनीकी की महत्ता बताई। डॉ रंजीत सिंह (दिल्ली) ने समाज मे बढ़ रहे साइबर अपराध तथा उनसे बचने के तरीकों से छात्र- छात्रों को अवगत कराया व नकली बेबसाइट तथा फर्जी ई मेल से सावधान रहने के बारे में बताया।

सागर एफ एसएल के डीएनए इंचार्ज डॉ.अनिल सिंह ने डीएनए फिंगर प्रिंट की भूमिका पर प्रकाश डालते हुये बताया कि किस प्रकार बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में डीएनए फिंगर प्रिंटिंग मददगार साबित हुई। दिल्ली एफएसएल की डॉ. खुशबू झा ने नकली दस्तावेजों द्वारा हो रही जालसाजी एवं उससे बचने के तरीकों के बारे में जानकारी दी। वहीं डॉ.राज श्रीवास्तव ने मिलते-जुलते चेहरों का फायदा उठाकर ठगी करने वालों पर लगाम कसने के तरीकों से अवगत कराया। देश की विभिन्न परीक्षाओं खासतौर पर एआईपीएमटी में हुये प्रकरणों का उदाहरण देते हुये उन्होंने ऐसे ठगों तक पहुंचने की तकनीक के बारे में समझाया।

सत्र के अंत में सागर विधि विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक डा. हर्ष शर्मा, आन्ध्रप्रदेश विधि विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक डॉ.आरके सरीन, डॉ.एनपी वाघमारे, इण्यिन इस्टी्टयूट ऑफ मेडीकल साइंस प्रो.आदर्श कुमार, डॉ.अनिल सिंह, डॉ.पंकज श्रीवास्तव एवं संगोष्ठी के संयोजक डॉ.राजू टण्डन द्वारा पोस्टर प्रजेन्टेशन में प्रथम स्थान पर रहे गवर्नमेन्ट इन्स्टीट्यूट आफ फारेन्सिक साइंस नागपुर के आशीष बड़ेरिया एवं नीति कपूर को पुरस्कृत किया गया। साथ ही न्यायिक विज्ञान के क्षेत्र में विशेष पहचान बनाने पर अवार्ड डॉ. शिखा शर्मा (दिल्ली) को प्राप्त हुआ। सेमिनार के अंत में संयोजक डॉ.राजू टंडन ने अतिथियों व प्रतिभागियों का आभार जताया।