डॉ. हरिसिंह गौर के विवि में लॉ विभाग में ही पीएचडी पाठ्यक्रम संचालित नहीं हो रहा है। इस विभाग की स्थापना वर्ष 1946 में सर गौर द्वारा की गई थी। जानकारी के मुताबिक डेढ़ दशक पहले तक विवि में पीएचडी कराई जाती थी।
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सागर.कानून के प्रखंड विद्वान के रूप में देश और दुनिया में पहचान रखने वाले सर डॉ. हरिसिंह गौर के विवि में लॉ विभाग में ही पीएचडी पाठ्यक्रम संचालित नहीं हो रहा है। इस विभाग की स्थापना वर्ष 1946 में सर गौर द्वारा की गई थी। जानकारी के मुताबिक डेढ़ दशक पहले तक विवि में पीएचडी कराई जाती थी। लेकिन वर्ष-2004 से एक भी छात्र को पीएचडी नहीं कराई गई है। क्योंकि पीएचडी गाइडलाइन के अनुसार विश्वविद्यालय में योग्य शिक्षक ही नहीं हैं। हर साल कई छात्र एलएलएम करने के बाद पीएचडी के लिए विवि के चक्कर काटते हैं। लेकिन विवि प्रशासन इस विभाग में पीएचडी पाठ्यक्रम शुरू नहीं कर पा रहा है।
नहीं बना सिलेबस
दो साल पूर्व एलएलएम कर चुके छात्र सिद्धार्थ पचौरी का आरोप है कि वह विवि की प्रवेश परीक्षा के समय दो
बार से प्रयास कर रहे हैं। विवि प्रशासन के जिम्मेदार अफसरों से संपर्क किया, जहां उन्हें सिलेबस तैयार नहीं होने की जानकारी दी गई। पचौरी का कहना है कि लाखों रुपए सैलरी पाने वाले स्टाफ से विवि प्रशासन इतने लंबे समय में सिलेबस भी तैयार नहीं करवा पाया।
विवि में जल्द शुरू हो पीएचडी
विवि से एलएलएम करने वाले छात्रों का कहना है कि शैक्षणिक सत्र-2016-17 में प्रवेश के लिए जून में प्रवेश परीक्षा संभावित है। विवि प्रशासन चाहे तो इसी वर्ष से लॉ विभाग में पीएचडी पाठ्यक्रम शुरू कर सकता है। करीब डेढ़ दशक पहले तक इस विभाग में शोधकार्य होता था।
विभागाध्यक्ष पर ही उठ रहे सवाल
लॉ विभाग की बागडोर प्रो. पीपी सिंह के हाथ में है। प्रो. सिंह करीब 10 वर्षों से ज्यादा समय से विभागाध्यक्ष के रूप में कामकाज देख रहे हैं। लेकिन बिना पीएचडी के ही उन्हें प्रोफेसर बना दिया गया।
लॉ विभाग में पीएचडी गाइडलाइन के मुताबिक योग्य शिक्षक नहीं थे, जिसके कारण पीएचडी नहीं कराई जा रही है। पीएचडी गाइडलाइन के मुताबिक सुपरवाइजर या गाइड होना अनिवार्य है, जिनके निर्देशन में शोध कार्य होता है।
-डॉ. दिवाकर सिंह राजपूत, मीडिया अधिकारी, डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि