
Synagogue held in Jain temple
खुरई. जैन मंदिर में शुक्रवार को आयोजित धर्मसभा में मुनि अभयसागर ने कहा कि संतान को अपार संपत्ति नहीं उत्तम संस्कार देना चाहिए। संस्कारहीन रावण, कंस, दुर्योधन ने राज्य, परिवार सहित स्वयं का नाश करवाया तथा उत्तम संस्कार युक्त धु्रव, भक्त प्रहलाद ने संसार में सर्वोत्तम पद पाया। उत्तम संस्कारी संसार में सर्वश्रेष्ठ और संपूर्ण संपत्ति है जो सत्य है।
मुनि ने कहा कि सौ वर्षों के भोग-विलास पूर्ण जीवन से एक दिन का त्याग का जीवन श्रेष्ठ है। सौ वर्षों के पापमय जीवन से एक दिन का पुण्य का जीवन श्रेष्ठ है। सौ पापी पुत्रों से एक पुण्यात्मा पुत्र श्रेष्ठ है। पाप की कमाई के लाखों के दान से न्याय-नीति की कमाई का एक रुपए का दान भी श्रेष्ठ है। मुनि प्रभातसागर ने कहा कि किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में अनुशासन जरूरी होता है। हमें एक-एक पल का सदुपयोग करना चाहिए। आयोजकों को चाहिए कि वह यहां वहां की बातों में व्यर्थ समय को न गवाएं। श्रद्धालुओं को धर्मलाभ से वंचित न करें। संपूर्ण जिला, प्रदेश एवं देश से जो भी श्रद्धालु इन धार्मिक अनुष्ठानों में आते हैं उनका मूल उद्देष्य सच्चे, देव, शास्त्र, गुरू को नमन करना एवं मुनि संघ से आषीर्वाद एवं प्रवचन श्रवण करने का होता है, इसका हमें ध्यान रखना चाहिए।
मुनि निरीहसागर ने कहा कि अन्ना हजारे ने आचार्यश्री विद्यासागर महाराज से आशीर्वाद लेकर ब्रह्मचर्य व्रत को अपनाया था। उनकी ही प्रेरणा से वह कई वर्षों तक दस-दस दिन उपवास कर अपने आत्मबल को बढ़ाया। उन्होंने अपने आत्मबल से देशहित में अनेक आंदोलन किए एवं महीनों अनशन पर बैठकर अलख जगाई। बहुत कुछ पाकर भी कुछ नहीं पाया, जो खुदा से बेखबर है। कुछ नहीं पाकर भी सब कुछ पाया, जिसकी खुदा पर नजर है। हवा का झरोखा, तूफ ान नहीं होता है, हर पत्थर भगवान नहीं होता है। दुनिया में हर इंसान, इंसान नहीं होता है जिसमें हो इंसानियत वहीं इंसान होता है। प्रवचन के पूर्व भोपाल, इंदौर, महू, मंदसौर, नीमच, गंजबासौदा, मंडीबामोरा, जबलपुर, दमोह, सागर, बीना, रहली, देवरी, बंडा, जरुआखेड़ा, खिमलासा आदि स्थानों से आए श्रद्धालुओं ने मुनि संघ को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया। प्रवचन सभा का संचालन राहुल बड्डे, सहयोग संकलन अशोक शाकाहार ने किया।
Published on:
21 Sept 2019 08:08 am
बड़ी खबरें
View Allसागर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
