
प्रवचन देते मुनि सुधासागर महाराज
भाग्योदय तीर्थ में आयोजित धर्मसभा में हुए प्रवचन
सागर. भाग्योदय तीर्थ में निर्यापक मुनि सुधासागर महाराज ने कहा कि महानुभाव जब संसार के रिश्ते दूसरे के कहने पर चल रहे हैं तो परमार्थ का रिश्ता तो भगवान के कहने पर क्यों नहीं चला रहे। वहां तुम्हारी मां ने बोला है और यहां तुम्हारे गुरु बोल रहे कि भगवान महावीर हुए हैं और उनके ही अपन सब अनुयायी हुए हैं। इसी तरह अपने अंदर अनुभव में आना चाहिए कि नहीं, जिनवाणी मां ने कहा है यही सत्य है, हमें कोई संदेह करने की जरूरत नहीं। मुनि ने कहा कि भावना सरल है और साधना कठिन है, फिर भी लोग साधना करने को तैयार है। भावना को नहीं, क्योंकि भगवान बनने के लिए भावना भानी पड़ती है कि मैं सुखी हूं, इतने से मैं संतुष्ट नहीं हूूं, मेरा जैसा संसार सुखी हो जाए ये संतुष्टि है। मेरे पास ज्ञान है यह ज्ञानी का लक्षण नहीं है। मेरे सामान सारा जगत ज्ञानी हो जाए। ये ज्ञानी का और गुरु का लक्षण है। मुझे गरीबी पसंद नहीं है, संसार में कोई गरीब न रहे। भगवान सब तरफ से सुखी है और दुख की अनुभूति कर रहे है, वो कहते हैं कि मुझे सुख की अनुभूति तभी होगी जब सारा संसार सुखी हो जाए। अपने दुख से दुखी तो दुनिया होती है लेकिन दूसरों के दुख से जो दुखी हो जाता है, उसका नाम भगवान कहलाता है।
Published on:
09 Oct 2024 01:15 am
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