
रानीपुरा में आयोजित हो रही श्रीमद भागवत गीता ज्ञान यज्ञ और राजयोग शिविर के चतुर्थ दिवस श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की जैसे कृष्ण भगवान के गीतों पर श्रद्धालु झूम उठे। प्रवचनकर्ता राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी नीलम ने कहा कि परमपिता परमात्मा शिव, सत्य शिक्षा देकर नर से नारायण और नारी से लक्ष्मी बनने का मार्ग बता रहे हैं। देवी-देवता इसी धरती पर होते हैं। स्वर्ग और नर्क यहीं हैं। देवी-देवताओं का राज्य पूरे भारत में था। समय बदला, युग बदला और हमारे गुण परिवर्तन हुए। कर्मानुसार हम अपना फल पाते हैं। गीता का ज्ञान हर धर्म के लिए है। हर मानव के कल्याण की राह श्रीमद भागवत गीता में समाई हुई है।
श्रीकृष्ण का संपूर्ण चरित्र युवाओं को प्रेरणा देने वाला हैं। 16 कलाओं के धनी श्रीकृष्ण का चरित्र, उनकी साधना, उनकी विपरीत परिस्थितियां आज के युवाओं को आत्मदर्शन करातीं हैं। मानव जब संपूर्ण पवित्र बनने की कोशिश करेगा, तब-तब विघ्न, बाधाएं आएंगी।
विपरीत परिस्थिति में भी श्रीकृष्ण के चेहरे पर बिखरी हुई मुस्कुराहट उनकी सात्विकता और संतुष्टता का प्रतीक है। बचपन से लेकर युवावस्था तक उनका जीवनकाल समस्याओं से घिरा होने के बावजूद भी उन्होंने कभी शिकायत नहीं की। श्रीकृष्ण के जीवन से हमें सीख मिलती है कि परिस्थिति कैसी भी हो लेकिन हमें मुस्कुराकर उसका सामना करना चाहिए।
Published on:
16 Sept 2025 04:36 pm
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