
पौधा रोपते हुए
बीना. पत्रिका हरित प्रदेश अभियान के तहत संस्था समन्वय मंडपम नवंकुर परिषद द्वारा स्वयं तैयार किए गए एक हजार पलाश (छेवला) और एक हजार बेर के पौधे रोपे जाएंगे। पौधे रोपने की शुरुआत रविवार से धनौरा पूरा गांव में पौधे रोपकर की गई।
संस्था के सत्यजीत सिंह ने बताया कि इन पौधों से हरियाली के साथ-साथ अन्य महत्व हैं। पलाश एक महत्वपूर्ण पौधा है और इसके बहुत ही महत्वपूर्ण उपयोग हैं। पलाश की छाल को ग्रामीण क्षेत्र में दस्त, मधुमेह और पेचिश की बीमारी में उपयोग किया जाता है। साथ ही पलाश के फूल से कृमिनाशक और शरीर शुद्धीकरण के उपयोग में आता है। इसके बीजों को पीसकर दाद, खाज, खुजली पर लगाने से ठीक हो जाता है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में इसके पत्तों से दोना, पत्तल बनाए जाते हैं और लकड़ी से कृषि औजार बनाए जाते हैं। पलाश मृदा संरक्षण भी करता है, क्योंकि यह नाइट्रोजन मिट्टी में रोकता है, जिससे भूमि की उर्वरक क्षमता बढ़ती है। मधुमक्खी पालन के लिए भी है बहुत अच्छा माना जाता है, क्योंकि इससे पराग बहुत ज्यादा होता है। बेर के पेड़ों से भी, जो फल मिलते हैं वह भी बाजार में बिकता है। यह पेड़ ग्रामीण क्षेत्र की आजीविका का आधार माना जाता है। हरियाली महोत्सव में ये पौधे महिलाओं को भी भेंट किए जाएंगे।
Updated on:
21 Jul 2025 11:54 am
Published on:
21 Jul 2025 11:53 am
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