30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

चल माई, काली माई के जयकारों से गूंजा पुरव्याऊ, भक्तिभाव से की गई स्थापना

शारदीय नवरात्र का पर्व सोमवार से शुरू हो गया। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना की गई। मां दुर्गा के पहले स्वरूप देवी शैलपुत्री की पूजा की गई। घटस्थापना शुभ मुहूर्त सुबह 6.28 बजे से 8.20 मिनट तक और दोपहर 12.08 से 12.56 बजे तक पंडालों में देवी स्थापना की गई।

2 min read
Google source verification

सागर

image

Rizwan ansari

Sep 23, 2025

शारदीय नवरात्र का पर्व सोमवार से शुरू हो गया। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना की गई। मां दुर्गा के पहले स्वरूप देवी शैलपुत्री की पूजा की गई। घटस्थापना शुभ मुहूर्त सुबह 6.28 बजे से 8.20 मिनट तक और दोपहर 12.08 से 12.56 बजे तक पंडालों में देवी स्थापना की गई। शहर में 100 से अधिक स्थानों पर देवी प्रतिमाएं रखीं गईं। वहीं सोमवार सुबह शहर की सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध पुरव्याऊ की कंधे वाली काली की स्थापना हुई। चल माई, काली माई के नारों के साथ प्रतिमा की विधि-विधान से स्थापना की गई। शुभ मुहूर्त में प्रतिमा को भक्तों ने अपने कंधों पर लेकर पंडाल तक पहुंचे। जैसे ही प्रतिमा पंडाल में विराजमान हुई। पूरा क्षेत्र माता के जयकारों से गूंज उठा। शहर के विभिन्न देवी मंदिरों में भी सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ी। घट स्थापना कर माता रानी की आरती और भजन कीर्तन के साथ नवरात्र का शुभारंभ किया।

1905 से चली आ रही परंपरा

समिति सदस्यों ने बताया कि इस वर्ष कंधे वाली काली की 121वीं स्थापना की गई है। यह परंपरा वर्ष 1905 से चली आ रही है। जब मूर्तिकार हीरा सिंह राजपूत ने पहली बार पुरव्याऊ टोरी पर महिषासुर मर्दिनी के स्वरूप में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की थी। उस समय से ही माता रानी की प्रतिमा को भक्त कंधों पर उठाकर पंडाल तक लाते हैं और इसी पारंपरिक से उनका विसर्जन भी किया जाता है।

कोलकाता के कलाकार बनाते हैं पंडाल

हर साल कंधे वाली काली के पंडाल की सजावट और डिजाइन कोलकाता से आए विशेष कलाकार तैयार करते हैं। यहां 20 दिन पहले ही तैयारियां शुरू कर दी गई थीं। आकर्षक और भव्य पंडाल देखने के लिए शहरवासियों में खासा उत्साह है। मूर्ति स्थापना के समय पूरा पंडाल श्रद्धालुओं से भर गया। परिसर में चारों तरफ माता रानी के जयकारे गूंजते रहे।

प्रतिदिन पांच आरती और होंगे धार्मिक आयोजन

यहां प्रतिदिन पांच विशेष आरती होती हैं। सुबह 6 बजे, सुबह 9 बजे, दोपहर 12 बजे और शाम 6 बजे और रात 9 बजे। माता की आरती में दूर-दूर से श्रद्धालु शामिल होने आते हैं। भजन-कीर्तन, सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि मां की झलक मात्र से हर कष्ट दूर हो जाता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।