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आचार्य श्री विद्यासागर की गाथा है स्वर्ण अक्षरों में लिखने योग्य

धूमधाम से मनाया गया पदारोहण महोत्सव, निकाली गई श्रीजी की शोभायात्रा, हुए प्रवचन

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The story of Acharya Shri Vidyasagar is worth writing in golden letters.

कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालु

बीना. श्री पारसनाथ दिगंबर जैन चौबीसी मंदिर बड़ी बजरिया में चल रहे सिद्धचक्र महामंडल विधान का समापन हुआ। यह आयोजन मुनिसंघ के सान्निध्य व ब्रह्मचारी अभिषेक भैया के निर्देशन में किया गया। विधान के समापन पर श्रीजी की शोभायात्रा निकाली गई।
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का 52 वां आचार्य पदारोहण महोत्सव सुबह धूमधाम से मनाया गया। आचार्यों का महापूजन, मुनिसंघ का पाद प्रक्षालन किया गया और शास्त्र अर्पण किए गए। इस अवसर पर 52 विशिष्ठ रतनमयी, रजतमयी द्रव्य से पूजन किया गया। साथ ही जरूरतमंदों को वस्त्र, औषधि, फल वितरण व पौधरोपण किया गया। धर्मसभा को संबोधित करते हुए विमलसागर महाराज ने कहा कि सभी लोग आचार्य पदारोहण दिवस मना रहे हैं, आचार्य श्री के मुनि दीक्षा और आचार्य पद प्राप्ति स्थान को नहीं भूलना है। स्कूल में चलने वाले कक्षा के पीरियड की तरह गुरुदेव ग्रंथों को आत्मसात करते चले गए। हम सब भारतवासियों का पुण्य था, जो गुरुदेव मिले थे। डोंगरगढ़ में आचार्य के चरणों में जो भावना रखते हैं, वह पूरी होती है। गुरुदेव के संकेत आते थे तो ऐसा लगता था, जैसे खजाना मिल गया हो। मुनि अनंतसागर महाराज ने कहा कि गुरुदेव की ऊंचाइयों को हम छू नहीं सकते। आचार्य कुंदकुंद स्वामी के बाद सबसे अधिक समय तक आचार्य श्री विद्यासागर महाराज, आचार्य पद पर सुशोभित रहे। मुनि भावसागर महाराज ने कहा कि आचार्य के चरण पूरे विश्व के मंदिर, संस्थाओं में स्थापित किए जाएं। उनके नाम से ऐसे स्कूल, चिकित्सालय खोले जाएं और स्वर्ण, रजत, पीतल, ताम्रपत्र, ताडपत्र पर ग्रंथ उत्कीर्ण करके स्थापित किए जाएं। आचार्य श्री की गाथा स्वर्ण अक्षरों में लिखने योग्य है।