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कई सालों बाद आ रही है ऐसी दिवाली, बन रहा है ये खास संयोग

सूर्योदय की तिथि के आधार पर मनेगी दिवाली, शताब्दी की पहली घटना जब सूर्योदय की तिथि को देंगे महत्व।  नवम्बर को धनतेरस की तिथि शाम 6:21 तक ही रहेगी। इसके उपरांत चतुर्दशी की तिथि प्रारंभ हो जाएगी।

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Khandwa Online

Oct 30, 2015

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सागर।ग्रह-नक्षत्रों के अद्भुत संयोग व सूर्योदय की तिथि के आधार पर दीपोत्सव का पर्व मनाए जाने से इस बार दीपोत्सव विशेष फलदायी होगा। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक दीपोत्सव का पर्व सदैव ही शुभ संकेतों को लेकर आती है, लेकिन इस वर्ष सूर्योदय की तिथि के आधार पर व ग्रहों के समीकरण से दीपोत्सव हजार गुणा अधिक पुण्यदायी होगा।

6:21 के बाद से चतुर्दशी की तिथि प्रारंभ हो जाएगी
दीपोत्सव 9 नवम्बर से 13 नवम्बर तक मनाया जाएगा। इस दौरान भक्तों पर मां लक्ष्मी की कृपा बरसेगी। ज्योतिषाचार्य कृष्णमोहन कटारे ने बताया कि वैसे तो हर साल दीपोत्सव का पर्व खास होता है। इस वर्ष दीपोत्सव की तिथि सूर्योदय के आधार पर मनाई जाएगी। 9 नवम्बर को धनतेरस की तिथि शाम 6:21 तक ही रहेगी। इसके उपरांत चतुर्दशी की तिथि प्रारंभ हो जाएगी।


दस बजे तक पूजन करना शुभ
इसी तरह से चर्तुदशी की तिथि 10 नवम्बर को रात 8 बजकर 21 मिनट तक रहेगी। इसके उपरांत अमावस्या की तिथि होगी। 11 नवम्बर को अमावस्या की तिथि रात 10 बजे तक ही है। रात दस बजे के बाद प्रतिपदा की तिथि शुरू हो जाएगी। हर साल दीपोत्सव के पर्व में महालक्ष्मी पूजा देर रात को की जाती है। इसलिए इस वर्ष दस बजे तक पूजन करना शुभ होगा। इस वजह से दीपोत्सव का पर्व सूर्योदय की तिथि के आधार पर ही मनाया जाएगा। बुधवार को गणेश जी का दिन माना जाता है इस दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा करना सर्वोत्तम होगा।

ग्रहों का समीकरण
ज्योतिषशास्त्री गणना के आधार पर दिवाली की तिथि में सूर्यदेव एवं बुद्ध देव तुला राशि में गोचर करेंगे। मंगल, राहू व शुक्र का गोचर कनया राशि में होगा। देव गुरु वृहस्पति सिंह राशि में गोचर करेंगे। केतू का गोचर मीन राशि में होगा। ग्रहों के इस समीकरण के आधार पर यह दिवाली विशेष रूप से फलदायी सिद्ध होगी।

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