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जैन धर्म के इतिहास का यह सबसे बड़ा विधान है : मुनि विमल सागर

विद्योदय तीर्थ में 720 समोशरण विधान में श्रद्धा का सैलाब सागर. विद्योदय तीर्थ में आयोजित 720 समोशरण विधान में मुनि विमल सागर महाराज ने कहा कि जैन धर्म के इतिहास में यह सबसे बड़ा विधान है। 720 समोशरण एक स्थान पर लगे हुए हैं जहां पर एक साथ 720 से अधिक भगवानों की पूजा अर्चना […]

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सागर

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Nitin Sadaphal

Oct 04, 2025

विद्योदय तीर्थ में 720 समोशरण विधान में श्रद्धा का सैलाब

सागर. विद्योदय तीर्थ में आयोजित 720 समोशरण विधान में मुनि विमल सागर महाराज ने कहा कि जैन धर्म के इतिहास में यह सबसे बड़ा विधान है। 720 समोशरण एक स्थान पर लगे हुए हैं जहां पर एक साथ 720 से अधिक भगवानों की पूजा अर्चना हो रही है। इससे पहले 170 समोशरण विधान भाग्योदय तीर्थ सागर में ही हुआ था। आज का दृश्य मैंने पहली बार देखा विधान में हजारों लोगों की उपस्थिति रही।

उन्होंने कहा अब तक मैंने दूसरों के मुंह से सुना था लेकिन आज सागर में इतनी बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति देखकर महसूस किया कि आचार्य विद्यासागर महाराज की स्मृति में हो रहे विधान में प्रभु और गुरु का आशीर्वाद सागर वालों को जमकर मिल रहा है। सागर वालों ने पूरे दम के साथ इस विधान में भाग लिया है। मुनि ने बताया संसार में तीन लोक होते हैं हम सब मध्यलोक के वासी हैं और मनुष्य ढाई दीप में पाए जाते हैं इसमें पांच भरत क्षेत्र और पांच ऐरावत क्षेत्र होते हैं कल 30 चौबीसी की 10 पूर्व, 10 वर्तमान और 10 भविष्य की चौबीसी है सागर के विधान की चर्चा और आनंद की चर्चा भी जगह-जगह हो रही है उन्होंने कहा यदि आपने पांचों पापों और पांचों इंद्रियों पर विजय प्राप्त की तो आपकी हमेशा विजयादशमी रहेगी आचार्य श्री अहिंसा के पुजारी थे और आज एक साथ 18 चरणों का पाद प्रक्षालन स्वर्ण कलश से किया गया है। गुरुदेव के प्रति सागर वालों की समर्पण में कभी किसी ने कोई शंका व्यक्त नहीं की है।

गुरुवार को बालक हिल व्यू, जरूआखेड़ा, रजाखेड़ी, रामपुरा, वर्धमान कॉलोनी, पगारा, शास्त्री वार्ड, नेहा नगर, तपोवन तीर्थ, चनाटोरिया, शनिचरी मंदिर, संजोग समिति, अनुभूति सोशल ग्रुप, बांदरी, राहतगढ़, बेगमगंज आदि स्थानों से हजारों महिलाएं और पुरुष दिव्य घोष के साथ द्रव्य लेकर के पहुंचे। श्रावक श्रेष्टि कांता रमेश बिलहरा बनी। मंदिर निर्माण में सुरेंद्र जैन मालथौन, नीरज जैन इलेक्ट्रिक, प्रदीप बांदरी ने राशि जमा की और अमित जैन मेरठ ने एक स्तंभ सर्वतोभद्र जिनालय में देने की घोषणा की।