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जीवन की जंग हार गया टेरिटोरियल फाइट में पराजित बाघ किशन, शांत हुई नौरादेही की पहली दहाड़

- अभयारण्य में किशन के कुनबे के 10 बाघ, इसी से मिला टाइगर रिजर्व का दर्जा- प्रोटोकॉल के तहत सीसीएफ ने अपने हाथाें से किया पहले बाघ का अंतिम संस्कार

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Sanjay Sharma

Jun 18, 2023

सागर. नौरादेही अभयारण्य को टाइगर रिजर्व तक पहुंचाने वाले बाघ किशन (एन-2) की दहाड़ शनिवार को हमेशा के लिए खो गई। अभयारण्य में बाघों का कुनबा बढ़ाकर अपनी धाक जमाने वाला एन-2 अपनी ही नस्ल के बाघ एन-3 से न केवल टेरिटोरियल फाइट हारा बल्कि जीवन की जंग में भी पराजित हो गया। शनिवार सुबह वनकर्मी जब गश्त पर निकले तब बाघ बमनार नदी के सतधारा घाट के पास मृत अवस्था में पड़ा मिला। अभयारण्य के पहले बाघ की सूचना के बाद सीसीएफ, डीएफओ सहित सभी अधिकारी और वनकर्मी मौके पर पहुंच गए। बाघ के शव के आसपास के स्थान को सुरक्षित कर जबलपुर और पन्ना के वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम द्वारा पोस्टमॉर्टम कराते हुए प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार कर दिया गया। बाघ किशन की मौत टैरिटोरियल फाइट में आए जख्मों से होना बताया जा रहा है लेकिन वास्तविक वजह जानने के लिए अधिकारी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।

बाघ किशन और राधा ने अभयारण्य को दिलाई थी पहचान :
बाघिन राधा को 19 अप्रेल 2018 को कान्हा से जबकि 12 दिन बाद 2 मई को बाघ किशन को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से नौरादेही अभयारण्य लाया गया था। यह अभयारण्य में बाघों का पहला जोड़ा था। इसके बाद इस जोड़े से 10 से 11 शावक हुए जबकि अभयारण्य में करीब दो वर्ष पूर्व आए बाहरी बाघ एन-3 की संतति को मिलाकर अब अभयारण्य में बाघों के कुनबे में 16 सदस्य हो गए हैं। राधा- किशन के जोड़े ने नौरादेही अभयारण्य को नई पहचान दिलाई थी और इन्हीं के कारण साल-दर-साल अभयारण्य में आने वाले सैलानियों की संख्या भी बढ़ रही है। पिछले दिनों ही केंद्रीय वन्यप्राणी बोर्ड द्वारा नौरादेही को प्रदेश के 7वें टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने की स्वीकृति दी गई है।

एक सप्ताह पहले हुई थी बाघ एन-2 और एन-3 में टेरिटोरियल फाइट :
अभयारण्य प्रबंधन के अनुसार चार दिन पहले बाघ एन-2 वनकर्मियों के गश्ती दल को जख्मी हालत में मिला था। उसकी लोकेशन का पीछा करते हुए जब वनकर्मी नौरादेही रेंज में नदी के पास पहाड़ की कंदरा में पहुंचे तो वह दर्द से छटपटा रहा था। उसके चेहरे पर गहरा जख्म था। बाद में नौरादेही और सिंगपुर रेंज में नजर आने वाले बाघ एन-3 से उसके संघर्ष का पता चला।

पन्ना से बुलाए वन्यप्राणी चिकित्सक कर रहे थे उपचार :
बाघ एन-2 के उपचार के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व से वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ.संजीव गुप्ता को बुलाया गया था। उनकी टीम पिछले तीन दिन से हाथी पर बैठकर बाघ किशन तक पहुंचकर ट्रेंकुलाइजेशन गन से दवा का डोज देकर उपचार कर रही थी। जख्मी बाघ को वनकर्मियों की निगरानी में रखा गया था और उसकी हालत में सुधार भी नजर आ रहा था लेकिन जख्म गहरे होने और उनमें संक्रमण के चलते किशन की शुक्रवार देर रात या शनिवार सुबह मौत हो गई। वह नौरादेही रेंज में बमनार नदी के सतधारा घाट के पास मृत अवस्था में पड़ा मिला। उधर एन-3 बाघ की तलाश लगातार जारी है। टेरिटोरियल फाइट के बाद घने जंगल में चले जाने से वह नजर नहीं आया है। ऐसे में उसके जख्मी होने की स्थिति को लेकर भी अधिकारी चिंतित हैं।

बाड़े में रखकर उपचार करते तो बच सकती थी जान :
बाघ एन-2 की मौत से अभयारण्य प्रबंधन सवालों के घेरे में है। पांच साल पहले वर्ष 2018 में बाघों का पहला जोड़ा आने और अब संख्या 16 पहुंचने के बाद उनमें अपने क्षेत्र विशेष को लेकर संघर्ष का यह पहला मामला है। अभयारण्य प्रबंधन बाघों की सतत निगरानी का दावा करता आया है ऐसे में एक सप्ताह संघर्ष में बाघ के जख्मी होने का पता तीन दिन बाद यानि शनिवार से चार दिन पहले चलना उनके दावे पर प्रश्नचिह्न लगा रहा है। वहीं बाघ के जख्मी होने के बाद भी उसे दवा का डोज देकर खुला छोड़ा जाता रहा जिससे वह खुले में विचरण करने के साथ ही नदी- नाले में पानी में भी आता- जाता रहा। इसी वजह से उसके जख्मों में फैले संक्रमण के जानलेवा बनने का अंदेशा है। विशेषज्ञों का मानना है यदि बाघ को बाड़े या पिंजरे में रखकर उपचार किया जाता तो सतत निगरानी होती और संक्रमण को फैलने से रोककर जान बचाई जा सकती थी।

जबलपुर- पन्ना के वन्यप्राणी चिकित्सकों ने किया पोस्टमॉर्टम :
डीएफओ महेन्द्र सिंह के अनुसार अभयारण्य में बाघ किशन का पोस्टमॉर्टम जबलपुर से बुलाए गए वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ.अमोल रोकड़े और बाघ का तीन दिन से उपचार कर रहे पन्ना टाइगर रिजर्व के डॉ. संजीव कुमार गुप्ता व रहली के नीरज राजपूत द्वारा सीसीएफ एके सिंह की मौजूदगी में किया गया है। इससे किशन की उम्र 8 साल 3 माह और वजन 180 किलो होने की जानकारी सामने आई है। किशन की लंबाई 190 और ऊंचाई 125 सेमी थी जबकि उसकी पूछ की लंबाई 101 सेमी पाई गई है। उसके चेहरे के जख्मों में संक्रमण के कारण कीड़े लगने व अंदरूनी चोट की वजह से मौत होने का अंदेशा डॉक्टरों ने जताया है। डॉक्टरों ने करीब एक घंटे तक पोस्टमॉर्टम किया जिसके बाद शाम 5.30 बजे प्रोटोकॉल के तहत किशन का अंतिम संस्कार अभयारण्य की नौरादेही रेंज में कर दिया गया।

फैक्ट फाइल :

– वर्ष 2018 के मई माह में नौरादेही अभयारण्य लाया गया था बाघ एन-2
– 06 महीने बाद स्थानीय लोगों ने दिया था बाघ को किशन नाम
– अभयारण्य में किशन और राधा के जोड़े से पैदा हुए हैं 10 बाघ
– क्षेत्र के संघर्ष में मारे गए बाघ एन-2 की आयु थी सवा 8 वर्ष
– अभयारण्य में 5 वर्ष 15 दिन तक एक छत्र रहा एन-2 का साम्राज्य