पेयजल में शहर में पेयजल संकट लगातार ही बढ़ता जा रहा है। अभी एक दिन के अंतराल से पेयजल उपलब्ध हो रहा है। मास्टर प्लान के मुताबिक वर्तमान में 49 एमएलडी पेयजल की जरूरत होती है। वर्ष 2031 में यह जरूरत बढ़कर 59.2 एमएलडी होगी और 2048 में 70 एमएलडी हो जाएगी। सड़क में शहर की संकरी गलियों में दोपहिया और चार पहिया वाहन दौड़ रहे हैं। शोरूम संचालकों की मानें तो हर माह दो से तीन हजार नए वाहन सड़क पर आ रहे हैं। एक दशक पहले 60 हजार वाहन दौड़ते थे, जो अब बढ़कर दो लाख से ज्यादा हो गए हैं। पांच साल बाद यह संख्या बढ़कर तीन लाख पर पहुंच जाएगी।
एक दशक पहले जिला अस्पताल में एक बीमारी का एक ही स्पेशलिस्ट था। डॉक्टरों की संख्या लगभग 25थी, जो अब 50 के पास पहुंची है। यहां आइसीयू, एनआरसी वार्ड बढ़ा है। बीएमसी में मरीजों का इलाज 2009 से शुरू हो गया। यहां 750 पलंग का अस्पताल है। उन्होंने बताया कि बढ़ती जनसंख्या के अनुसार शहर में भी दिल्ली की तर्ज पर मोहल्ला क्लीनिक खोलने होंगे। जिन्हें सेक्टर के अनुसार बांटना होगा। जहां सामान्य बीमारियों का इलाज हो सके।
हर बच्चा स्कूल पहुंचे, इसके लिए सर्व शिक्षा अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन सुविधाओं की कमी से सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं। मध्याह्न भोजन, यूनिफॉर्म और साइकिल वितरण जैसी योजनाओं का लाभ विद्यार्थियों तक नहीं पहुंच पा रहा है। जिले में 2300 प्राइमरी स्कूल संचालित हैं। इनमें आने वाले वर्षों में 230 स्कूल बंद होने जाएंगे। आबादी के मुताबिक स्कूलों को भी निजी की तरह सुविधाएं जुटानी होंगी।