इस Independence Day पर हम आपकाे शहीद-ए-आजम भगत सिंह की याद दिला रहे हैं। आज भी यह बात बहुत कम लाेग ही जानते हैं कि शहीद-ए-आजम Bhagat Sing काे कई भाषाओं काे ज्ञान था। फांसी चढ़ने से पहले उन्हाेंने अपने छाेटे भाई कुलतार सिंह काे अंतिम पत्र लिखा था जाे उर्दू भाषा में था।
कुलतार सिंह ताे अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके बेटे यानि शहीद भगत सिंह के भतीजे किरणजीत सिंह आज भी सहारनपुर में ही रहते हैं। 73वे स्वतंतत्रा दिवस 15 अगस्त पर (पत्रिका) से विशेष बातचीत में किरणजीत सिंह ने उस संस्मरण साझा किए ताे उनकी भी आंखे भर आई। आईए किरण जीत सिंह के शब्दों में ही जानते हैं कि उस अंतिम पत्र में शहीद भगत सिंह ने क्या लिखा था।
किरणजीत सिंह की जुबानी “मेरे पिता स्वर्गीय सरदार कुलतार सिंह जी 1931 में महज 12 वर्ष के थे। जब सरदार भगत सिंह काे फांसी हाेने वाली थी ताे वह अंतिम भेंट के लिए 3 मार्च 1931 के दिन सेंट्रल जेल लाहौर में गए परिवार के साथ, बालक कुलतार सिंह की आँखाे में आंसू आ गए, ये साेचकर कि बड़े भाई से अब मिलना नहीं हाे पाएगा।
ताे सरदार भगत सिंह ने अपने जीवन का अंतिम पत्र उन्हाेंने लिखा जाे कुछ इस तरह से है, ”अजीज कुलतार, प्यारे कुलतार तुम्हारी आंखाे में आंसू देखकर बहुत दुःख हुआ। तुम्हारी बाताें में बहुत दर्द था, तुम्हारे आंसू मुझसे सहन नहीं हाेते, हाैंसले से रहना, शिक्षा ग्रहण करना और अपनी सेहत का ध्यान रखना”