दिल अगर साथ दे, ताे हर कदम पर शिवालय है।
और दिल ही अगर साथ ना दे, ताे शिवालय भी कुछ नहीं।।
हाैंसले अगर पस्त हाें, ताे जर्रें भी राेक दें।
और हाैंसले हाें बुलंद, ताे हिमालय भी कुछ नहीं।।
यह कहना है, 2012 बैच के आपीएस ऑफिसर और वर्तमान में मुजफ्फरनगर एसएसपी muzaffarnagar ssp अभिषेक यादव Abhishek Yadav का। सिविल सर्विस में आने से पहले इंजीनयरिंग बैंकिग और सेल्सटैक्स के क्षेत्र में भी अपनी सेवाएं दे चुके अभिषेक यादव मानते हैं कि सफलता के लिए ‘दिल’ का साथ बेहद जरूरी है। उनका कहना है कि, हमे वह कार्य करना चाहिए, वह करियर चुनना चाहिए जिसे हमारा दिल चाहता हो। जब हम उस क्षेत्र में कदम बढ़ाते हैं जिस क्षेत्र में आने का हमारा मन हाेता है ताे फिर सफलता मिलना लगभग तय हाे जाता है।
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अभिषेक यादव का कहना है कि कई बार हम (युवा) अपने माता-पिता या किसी रिश्तेदार की मर्जी या उनकी खुशी के लिए काेई भी क्षेत्र चुन लेते हैं लेकिन अगर उस क्षेत्र में मन ना हाे ताे सफलता मिलकर भी अधूरी लगती है। इसलिए जरूरी है कि अपने मन की आवाज काे सुनें और जाे हम करना चाहते हैं उसे करें। मुजफ्फरनगर एसएसपी का कहना है कि उन्हाेंने सिविल सर्विस काे इसलिए चुना क्याेंकि पूर्व की नाैकरियों में उन्हे संतुष्टि नहीं मिल पाई। वह काेई ऐसा क्षेत्र चुनना चाहते थे जहां से दूसरों की मदद की जा सके दूसरों की जिंदगियां सवारने के माैके मिल सकें। इसलिए उन्हाेंने सिविल सर्विस काे चुना और आपीएस की परीक्षा IPS exam में बैठे।
युवाओं के लिए संदेश
IPS officer अभिषेक यादव का युवाओं के लिए यहीं संदेश है कि उन्हे खुद तय करना हाेगा कि वह किस तरह की जिंदगी जीना चाहते हैं। वह कुख्यात हाेना चाहते हैं या विख्यात हाेना चाहते हैं ? यह उनका विवेक तय करता है। वह अपना राेल मॉडल उन लाेगाें काे बनाना चाहते हैं जिन्हाेंने गलत रास्तों पर चलकर क्षणिक चर्चा पाई या उन लाेगाें काे जिन्हाेंने ईमानदारी और लगातार मेहनत करके इतिहास के पन्नों पर जगह बनाई।