
मुस्लिम महिलाओं का बाजारों में जाकर मेहंदी लगवाना नाजायज : दारुल उलूम
देवबंद। विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने एक बार फतवा जारी किया। इसमें उन्होंने महिलाआें के इस शोक को नाजायज करार दिया है।दरअसल फतवे में महिलाओं के हाथों पर रचने वाली मेंहदी बाजारों में जाकर लगवाने को नाजायज करार दिया है।इसकी उन्होंने वजह भी बतार्इ है। हालांकि मुस्लिम महिलाआें के घर में मेहंदी लगाने पर कोर्इ रोक नहीं है। लेकिन बाजार में मेहंदी लगवाने को नाजायज करार दिया गया है। जिससे मुस्लिम महिलाओं को बचना चाहिए।
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फतवे में मेहंदी को लेकर यह बतार्इ वजह
नगर के ही मोहल्ला बड़जियाउल हक निवासी मोहम्मद मोनिस ने दारुल उलूम से लिखित सवाल में पूछा था कि मुस्लिम औरतों का बाजार जाकर मेंहदी लगवाना कैसा है। बहोत सी औरतों मर्दों के हाथों से मेहंदी लगवाती हैं क्या इस्लाम में इसकी इजाजत है। दारुल उलूम के फतवा विभाग की खंडपीठ ने लिखित सवाल के जवाब में फतवा जारी करते हुए कहा है कि औरतों का बाजार जाकर मर्दों से मेहंदी लगवाना सख्त गुनाह और नाजायज है।
बाजार में जाने को लेकर भी कही ये बात
फतवे में यह भी कहा गया है कि औरतों का बिना जरूरत बाजारों में जाना गुनाह और बेहयाई की बात है।इसलिए मुसलमान औरतों को इससे बचना चाहिए। दारुल उलूम के फतवे को पूरी तरह सही ठहराते हुए मजलिस इत्तिहादे मिल्लत के प्रदेश अध्यक्ष मुफ्ती अहमद गोड ने कहा कि दारुल उलूम देवबंद मुसलमानों का रहनुमा है। कुरआन और हदीस की रोशनी में दिया गया।फतवा बिल्कुल सही है।इस्लाम में पर्दे की खास महत्ता है इसलिए मुसलमान औरतों को चाहिए कि वह पर्दे का एहतेमाम जरूर करें।
Published on:
15 Jul 2018 01:02 pm
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