इस पर उलेमा ने कहा कि हिंदुस्तान का मुसलमान सिर्फ तिरंगे से ही मोहब्बत करता है। मुसलमानों का कोई अपना झंडा नहीं है। उनका सिर्फ तिरंगा ही झंडा है और वह तिरंगे झंडे से मोहब्बत करते हैं। क्योंकि देश को आजाद कराने के लिए हमारे उलेमाओं और हमारे बड़ों का खून इस जमीन में शामिल है। इसीलिए हम अपने तिरंगे और हिंदुस्तान से मोहब्बत करते हैं।
देवबन्दी आलीम मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि वसीम रिजवी का जो बयान आया है तो उन्हें बता दें कि मुसलमानों का कोई झंडा नहीं है। मुसलमानों का अगर झंडा है तो वह तिरंगा है। मुसलमान तिरंगे और राष्ट्रगान से मोहब्बत करता है। अंग्रेज जैसी नापाक कौम को भगाने के लिए हमारे उलेमाओं और हमारे बड़ों ने यहां कुर्बानियां दी हैं। जहां तक जो हरे झंडे का ताल्लुक है वह अलग-अलग पार्टियों के अलग-अलग तंजीमों में निशान हैं।
उन्होंने कहा कि जिस तरीके से बीजेपी का निशान कमल का फूल है, समाजवादी का निशान साइकिल का है। इसी तरीके से मायावती का निशान हाथी का है और कांग्रेस का पंजे का है। इसी तरीके से जो तंजीम है, जो पार्टियां हैं उन सबके अलग-अलग है। मुसलमानों का कोई अलग से झंडा नहीं है।