दरअसल देश में बहुत चर्चित सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद किसी भी महिला को अंदर घुसने नहीं दिया गया। लेकिन मंदिर में प्रवेश का प्रयास करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता रेहाना फातिमा को मुस्लिम समुदाय से निष्कासित कर दिया गया। अनुमति मिलने के बाद मंदिर में प्रवेश का प्रयास करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता रेहाना फातिमा को मुस्लिम समुदाय से निष्कासित करने वाले केरल मुस्लिम समाज काउंसिल के ऐलान पर प्रतिक्रिया देते हुए देवबंद के ऑनलाइन फतवा विभाग के चेयरमैन मौलाना मुफ्ती अरशद फारुकी ने कहा कि, वहां के प्रशासन ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा रखी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसके खिलाफ फैसला दिया और महिलाओं के मंदिर में प्रवेश को इजाजत दे दी। लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि रेहाना फातिमा वहां क्यों और क्या करने के लिए गई थीं?। इस्लाम में किसी भी मुस्लिम महिला या पुरुष का मंदिरों में जाकर पूजा करने की सख्त मनाही है। उन्होंने साफ कहा कि मुसलमान सिर्फ अल्लाह की इबादत करते हैं और उसी के सामने सिर झुकाते हैं। रेहाना व उसके परिवार के निष्कासन का सही किया गया है।